
निर्जीव बीज यदि है तो-
अंकुर कैसे उग आता?
लघु या विशाल संबोधन
यह समझ नही मैं पाता॥
हो समष्टि , स्वर्ग, पाताल
या दिग-दिगन्त के पट में।
है एक शक्ति तो निश्चित,
अनवरत प्रवासी घट में॥
प्रतिपल जीवन समझाता,
है डोर किसी के कर में।
रोदन या हास वही तो,
देता प्रत्येक अधर में॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
बीज, निर्जीव नहीं, यह तो विग्यान भी बता चुका है,पौधों में भी
ReplyDeleteजीवन है,वेदिक-द्रिष्टि के अनुसार तो प्रत्येक कण में वह परमात्म, उस कण का आत्म बन कर रहता है,उसी के कारण जड कण व परमाणु भी अपना कार्य संपन्न करता है। बीज में पूर्ण ब्रक्ष होता है।
------सुन्दौ कविता ।