
जगती की अंगनाई में,
क्यों धूप बिखर जाती है।
तारों की चूनर ओढे,
क्यों निशा संवर जाती है ?
अभिशाप यहाँ पर क्या है,
वरदान कहूं मैं किसको।
दूजे का दुःख अपना ले,
है समय यहाँ पर किसको॥
रसधार यहाँ पर क्या है ?
विषधर कहेंगे किसको ?
क्षण -क्षण परिवर्तित होता,
संसार कहेंगे किसको ?
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"
अभिशाप यहाँ पर क्या है
ReplyDeleteवरदान कहूँ में किसको
दूजे का दुख अपना ले
है समय यहाँ पर किसको
बहुत ही सही बात कही है यशवीर जी ने ...दुनिया इसी का नाम है ...