दात्किर्रा से जान ऊब गा॥
धमा चौकडी म न रहबे॥
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम न सहबय
दिन भे खेत माँ हल्ला बोली॥
पतिया वाली तराई म
भूख के मारे सिकुड़ गे आती॥
अब तीन बजे हम खाई का॥
बेतवा पतोह के आशा म॥
कौनव दिन तड़प तड़प के मरबे॥
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम सहबय
संझ्लौका जब घर का आयी॥
तब पडिया चिल्लाय॥
जाय नदी म पानी पिलाई॥
सानी दी तव खाय॥
मिले रात म जूठा खाना॥
य्हके साथी कैसे रहबे॥
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम n सहबय॥
जीवन कई कुछ कठिन बी रास्ता॥
सारा जीवन फोकट म काटे॥
जब बीमार होय गदेलन॥
इनके खातिर रतिया म जागे॥
उही परिक्ष्रम के फल आते॥
yeh budhaape ma inkay kaa karbay..
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम सहबय
धमा चौकडी म न रहबे॥
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम न सहबय
दिन भे खेत माँ हल्ला बोली॥
पतिया वाली तराई म
भूख के मारे सिकुड़ गे आती॥
अब तीन बजे हम खाई का॥
बेतवा पतोह के आशा म॥
कौनव दिन तड़प तड़प के मरबे॥
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम सहबय
संझ्लौका जब घर का आयी॥
तब पडिया चिल्लाय॥
जाय नदी म पानी पिलाई॥
सानी दी तव खाय॥
मिले रात म जूठा खाना॥
य्हके साथी कैसे रहबे॥
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम n सहबय॥
जीवन कई कुछ कठिन बी रास्ता॥
सारा जीवन फोकट म काटे॥
जब बीमार होय गदेलन॥
इनके खातिर रतिया म जागे॥
उही परिक्ष्रम के फल आते॥
yeh budhaape ma inkay kaa karbay..
देहिया का परुष ख़तम होत बा॥
बेतवा के गारी हम सहबय
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर