जब सच्चाई की पोल को खोलेगे॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
जो प्रेम रूप की नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
लय - प्रलय भी हो सकती है॥
बाढ़ तो पक्का आ जायेगी॥
कडुवाहट की बूंदे टपके गी॥
उथल पुथल से मच जायेगी॥
जब छत्ते पर ईट हम फेकेगे॥
मधुमक्खी जिंदा खा जायेगी॥
जब सच्चाई की पोल को खोलेगे॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
जो प्रेम रूप की नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
जो प्रेम रूप की नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
लय - प्रलय भी हो सकती है॥
बाढ़ तो पक्का आ जायेगी॥
कडुवाहट की बूंदे टपके गी॥
उथल पुथल से मच जायेगी॥
जब छत्ते पर ईट हम फेकेगे॥
मधुमक्खी जिंदा खा जायेगी॥
जब सच्चाई की पोल को खोलेगे॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
जो प्रेम रूप की नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
सच्चाई की कोई पोल कब होती है, पोल तो झूठ की होती है। सोचो जरा!
ReplyDeletedr. sahab aap ne sahi likhaa hai, lekin sach ki hi pol khul burayi ki to polnahi hoti shayad
ReplyDeletelekin is line ko ham future me change kar dege....
ReplyDelete"मा ब्रूयात सत्यमप्रियम" अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिये। यही न।
ReplyDeletegupta ji agar jo baat priye lage wahi bolane se bahut badi kathinaiyo ka saamanaa karnaa pad jaataa hai... sach hamesaa kaDuwaa hotaa hai...
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