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अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद जयंती पर विशेष रचना
आचार्य संजीव 'सलिल'
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
तुम निडर थे
हम डरे हैं,
अपने भाई से.
समर्पित तुम,
दूर हैं हम
अपनी माई से.
साल भर
भूले तुम्हें पर
एक दिन 'सलिल'
सर झुकाए बन गए
विनत सलाम हैं...
तुम वचन औ'
कर्म को कर
एक थे जिए.
हमने घूँट
जन्म से ही
भेद के पिए.
बात या
बेबात भी
आपस में
नित लड़े.
एकता?
माँ की कसम
हमको हराम है...
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद जयंती पर विशेष रचना
आचार्य संजीव 'सलिल'
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
तुम निडर थे
हम डरे हैं,
अपने भाई से.
समर्पित तुम,
दूर हैं हम
अपनी माई से.
साल भर
भूले तुम्हें पर
एक दिन 'सलिल'
सर झुकाए बन गए
विनत सलाम हैं...
तुम वचन औ'
कर्म को कर
एक थे जिए.
हमने घूँट
जन्म से ही
भेद के पिए.
बात या
बेबात भी
आपस में
नित लड़े.
एकता?
माँ की कसम
हमको हराम है...
तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं....
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर