डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...
third rate kee kavitaa, vaastav men bahut buree hai. men chaahungaa dubaaraa na likhee jaay.
ReplyDeleteडाक्टर साहब जी शायद आप को ये कविता पसंद नही आयी ..हो सकता है की हमारी लेखनी कही प्रेम रुपी शव्दों का समावेश कर दिया हो । इस लिए मै यही कोशिश करूगा की दुबारा ऐसी कविता न लिख सकू॥ धन्यवाद॥
ReplyDeleteये बात नहीं,---प्रेम के रंग हज़ार--पर प्रेम न हाट बिकाय। मर्यादित हो,
ReplyDeleteइसे ऐसे लिखें---
सजनि! अब तो प्रणय का वरदान देदो।
जल उठें मन दीप,ऐसी-
मदिर मधु मुस्कान देदो।
अधखुली पलकें झुका कर,
प्रीति का अनुमान देदो।
कामिनी! इस मधुर पल को ,
इक सुखद सा नाम देदो॥