Skip to main content

मिटटी के भाव ..अपनी जिंदगी गवा रहे है॥

मिटटी के भाव ..अपनी जिंदगी गवा रहे है॥
इस पवित्र पावन धरती से..रूठ के जा रहे है॥
क्यो करते है आत्म ह्त्या॥
क्या जीने का हक़ नही है॥
मरने के बाद जीने की ॥
तरकीब बता रहे है॥
मिटटी के भाव ..अपनी जिंदगी गवा रहे है॥
इस पवित्र पावन धरती से॥रूठ के जा रहे है॥
क्यो करता है प्रेम धोखा॥
क्यो जलता है परवाना॥
भरी बाज़ार में ॥
मारा जाता है दीवाना॥
अपनी कहानी छोड़ के॥
औरो की बता रहे है...
मिटटी के भाव ..अपनी जिंदगी गवा रहे है॥
इस पवित्र पावन धरती से॥रूठ के जा रहे है॥
क्यो टूटता है प्रेम .मरते है प्रेमी घुट के।
दोनों की खिल्लिया उडाते है लोग जुट के॥
अपनी तो पोल लोग ॥
सबसे छुपा रहे है॥
मिटटी के भाव ..अपनी जिंदगी गवा रहे है॥
इस पवित्र पावन धरती से..रूठ के जा रहे है॥

Comments

  1. kehna to bohot kuchh chahtee hun...aawaaz me shamil hona chahtee hun..
    "koyi nahee hai tujhbin Mohan Bharat kaa rakhwala'...Mai yahan "mohan" us mahatma ko kah rahee hun...!

    ReplyDelete
  2. shama ji ,, bahut sundr ,,,dhanyavaad..

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...