बाल गीत
पारुल
संजीव 'सलिल'
रुन-झुन करती आयी पारुल.
सब बच्चों को भायी पारुल.
बादल गरजे, तनिक न सहमी.
बरखा लख मुस्कायी पारुल.
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल.
गिरी-उठी, पानी में भीगी.
सखियों सहित नहायी पारुल.
मैया ने जब डांट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल.
छप-छप खेले, ता-ता थैया.
मेंढक के संग धायी पारुल.
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी.
भिगा-भीग मस्तायी पारुल.
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पारुल
संजीव 'सलिल'
रुन-झुन करती आयी पारुल.
सब बच्चों को भायी पारुल.
बादल गरजे, तनिक न सहमी.
बरखा लख मुस्कायी पारुल.
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल.
गिरी-उठी, पानी में भीगी.
सखियों सहित नहायी पारुल.
मैया ने जब डांट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल.
छप-छप खेले, ता-ता थैया.
मेंढक के संग धायी पारुल.
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी.
भिगा-भीग मस्तायी पारुल.
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--- संजय सेन सागर