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" 500 रु " ,५ " मिनिट में 5 "जी बी " वेब स्पेस में स्वयम बनाये वेब साईट [[ बिलकुल फ्री फ्री ]]


आप सोच रहे होगे की मै मजाक कर रहा हु , बिलकुल नहीं मेरी ऐसी आदत ही नहीं है बहुत परेशन होते है हम सभी एक वेब साईट बनाए या बनवाने के लिए अब ऐसा नहीं होगा जी हा बिलकुल ठीक कह रहा हु आप खुद ही देख लीजिये बस ५०० रु , ५ मिनिट में ५ जी बी वेब स्पेस में बनाये वेब साईट [[ बिलकुल फ्री फ्री ]] वो भी स्वयम से अगर आप डोमिन नाम के लिए ५०० रु भी खर्च नहीं करना चाहते है तो भी आप फ्री में भी सब कुछ बना सकते है देखिये इसे और जल्दी से वेब में घरोंदा बना के अपने विचारो या अपने व्यसाय के लिए साईट या नेट में स्थान तैयार कर लीजिये जिसके लिए आपको किसी के चक्कर काटने या फोन करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी अब आप सोच रहे होगे की मै आपको परेशन कर रहा हु काम की बात तो बता नहीं रहा हु चलिए देखिये इसे ये है
http://www.officelive.com/en-us/



देख लिया अब इसके आगे के फीचर में देखिये इसमे आपको बहुत कुछ मिलेगा जिसमे ई मेल बनाने से लेकर डोमिन के उपायों भी दिए गए है अगर आप डोमिन के लिए ५०० रु खर्च भी नहीं करना कहते है तो उसके लिए भी एक ओअपशन वहा है देखिये जिसमे आप जो भी नाम अपने साईट को देगे उसका नाम कुछ इस तरह होगा बस इसे देखिये


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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...