
ऐसे बीती जिंदगी किसी के प्यार के बिना।
जैसे नदिया बहती जाए इन्तजार के बिना ॥
कोरे सपने रंग को तरसे
तरुबाई तरसे मधुबन को -
रूप चांदिनी को मन तरसे
सुधि तरसे आलिंगन को-
सुधि तरसे आलिंगन को-
ऐसे योवन का बसंत है बहार के बिना।
जैसे कोई प्रेम सुहागिनी हो श्रींगार के बिना॥
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
shandaar.
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDeleteआप इसी तरह प्रगति के मार्ग पर आगे बढते जाये यही दुआ है
बहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDeleteआप इसी तरह प्रगति के मार्ग पर आगे बढते जाये यही दुआ है