कैसा वफा?
हमारा सब कुछ छीन-छान कर तुमने हमको भगा दिया है।
हमने सब कुछ सौंप दिया था, तुमने कैसा वफा किया है।।
चाहत अपनी कब से थी यह,एक बार तो देख पायँ वह।
चाहत तुमने पूरी कर दी,बता दिया पर, साथ नहीं रह।
इतना सब कुछ हो जाने पर, तुमने उफ तक नहीं किया है।
हमने सब कुछ सौंप दिया था, तुमने कैसा वफा किया है।।
तुमको हम थे समझ न पाये,इसीलिए तो दर पर धाये।
तुमने सब कुछ सौंप दिया यूँ,हम तो कुछ भी नहीं कर पाये।
समझ न पाये, बिना चाह के,खुद से क्यूँ? यूँ दगा किया है।
हमने सब कुछ सौंप दिया था, तुमने कैसा वफा किया है।।
तुमने ना हमको बतलाया,हमको था यूँ ही भरमाया।
दिल तो तुम्हारे पास नहीं था,सौंप दी तुमने हमको काया।
सत्य बोलने का दावा था, फिर क्यों विश्वास घात किया है।
हमने सब कुछ सौंप दिया था, तुमने कैसा वफा किया है।।
Comments
Post a Comment
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर