जी हाँ,चाहे सारा जमाना बदल जाए..पर हम नहीं बदलेंगे...!आपने ठीक समझा मैं बी जे पी की ही बात कर रहा हूँ..!चुनाव में लुटिया डूब गई...पर अकड़ नहीं गई...!कोई हार की जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है...!सब अपने अपने खेमे को मजबूत .करने..में लगे है..!हर कोई पार्टी में अपनी हसियत साबित करने पे तुला है..!होना तो ये चाहिए था की पार्टी अपनी हार स्वीकार करके आत्म मंथन करती...पर इसके उलट सब अपनी अपनी डफली बजाने .में..लगे है...!आडवानी जी शुरूआती ना नुकर के बाद फ़िर से पार्टी नेता बन गए है,जबकि उन्हें अब तक समझ जन चाहिए था की अब युवाओं की बारी है...!वे क्यूँ कुर्सी से चिपके रहना चाहते है...?बाकि नेता भी त्यागपत्र त्यागपत्र खेल रहे है....!अरे आप क्यूँ नहीं सामूहिक रूप से इस्तीफे दे देते ताकि .पार्टी नई टीम बना सके..!अब एक आधे त्यागपत्र से कुछ.. नहीं होने वाला,अब तो नई शुरुआत करनी होगी,नया चेहरा प्रस्तुत .करना होगा ..!आप क्यूँ नहीं कुछ करना..चाहते ,जबकि जनता ने आपको नकार दिया है...!अब भी समय है...पार्टी को एक बार फ़िर नए जोश और नए रूप के साथ आगे आना होगा...!आडवानी जी को जिद छोड़ कर युवा पीढ़ी को कमान सौपनी होगी...!द्वितीय पीढी के नेताओं को आगे लाना होगा...!इस में कोई बड़ी बात भी नहीं है ,क्यूंकि आगामी चुनावों से पहले काफ़ी समय है काया कल्प के लिए..!सिर्फ़ हिन्दुत्व और साम्प्रदायिकता के नारे को छोड़ नए नारे ..ढूँढने...... होगे,एक नया माडल पेश करना होगा...!क्या ये सब कुछ बी जे पी कर पायेगी?इसी पर उसका भविष्य टिका है....
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
रजनीश जी जो मुंबई काण्ड,मंहगाई,स्विस बैंक को मुद्दा नहीं बना पायी बह क्या कर सकती है
ReplyDeleteबस राम के नाम पर सत्ता मे आना चाहते है
अच्छा लेख !
रजनीश जी जो मुंबई काण्ड,मंहगाई,स्विस बैंक को मुद्दा नहीं बना पायी बह क्या कर सकती है
ReplyDeleteबस राम के नाम पर सत्ता मे आना चाहते है
अच्छा लेख !