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मैं ‘कापीराइट’ पान वाला बाबू


रायपुर. रायपुर जिले के छोटे से कस्बे गरियाबंद में रहने वाले जीवनलाल देवांगन के हुनर की शोहरत दुनियाभर में फैल चुकी है। वे पान की सैकड़ों डिजाइन का कापीराइट लेने वाले छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के पहले कलाकार हो गए हैं। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह समेत देश की तमाम बड़ी हस्तियां उनके बनाए पान का स्वाद ले चुकी हैं।

भारत सरकार के कापीराइट दफ्तर ने पिछले दिनों उनके पान की मौलिक आकृतियों को मान्यता दे दी। इसके बाद अब कोई उनकी डिजाइन की नकल नहीं उतार पाएगा। गरियाबंद में उनके फेमस पान भंडार को ‘एफपीबी’ नाम से वल्र्ड क्लास ट्रेडमार्क मिला हुआ है। इस ग्रामीण के हुनरमंद हाथों की जादूगरी का ही कमाल है कि उनके नाम एक के बाद एक रिकार्ड दर्ज हो रहे हैं। दो साल पहले उनकी कला लिम्का बुक में दर्ज हो चुकी है, अब गिनीज बुक आफ रिकार्ड की बारी है। केन्या में 12 जुलाई को वे गिनीज बुक की टीम के सामने प्रदर्शन करेंगे। वहां खूबसूरत डिजाइन का डाक्युमेंटेशन भी होगा।

मैट्रिक तक पढ़ाई के बाद जीवनलाल ने गरियाबंद में फेमस पान भंडार नाम से छोटी गुमटी लगानी शुरू की थी। आज उनके पान की सुंदर डिजाइन और स्वाद खासे लोकप्रिय हैं। उनकी लाई लव यू डिजाइन को कपल्स खूब पसंद करते हैं। इसके अलावा मेल-फीमेल, कमल का फूल, दीपक, मैडल, छत्तीसगढ़ी गुजिया समेत कई आकृतियों के लोग दीवाने हैं।

वैसे तो जीवनलाल नौ सौ से हजार डिजाइन तक तैयार कर लेते हैं, लेकिन प्रचलित चार सौ ज्यादा हैं। 57 वर्षीय जीवनलाल को राज्य उनकी कला को यथोचित सम्मान की अपेक्षा है। प्रतिष्ठित दाऊ मंदराजी राज्य सम्मान के लिए उन्होंने दावा किया है। संस्कृति विभाग उनकी मशहूर आकृतियों को जल्द ही रिकाड करेगा। बताते हैं, कला की नई विधा होने के कारण इसे स्थापित कला क्षेत्र में शामिल करने को लेकर भी असमंजस है।



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