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विषकन्याएं बनी वेश्याएं


तिल्दा-नेवरा. नगर में चार ऐसे वार्ड हैं, जहां 15 साल की लड़कियों से लेकर 50 साल की महिलाएं वेश्यावृति में संलग्न हैं। यहां के युवा, कमसिन से संपर्क बनाने के लालच में एड्स के मरीज होते जा रहे हैं। इस बात को सरकारी व निजी डाक्टर खुलकर बताते भी हैं। युवाओं को ऐसी लड़कियों से बचने की सलाह भी देते हैं, लेकिन यहां का हाल ऐसा है कि युवा इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। डाक्टरों की बात में सच्चई भी है, क्योंकि एड्स से युवाओं की मौत भी हो रही है।स्थानीय लोगों ने ऐसी महिलाओं को विषकन्या का नाम दिया है, जो एड्स के रूप में युवाओं को जहर दे रही हैं तथा खुद भी मौत के मुंह में समा रही हैं। एड्स से पीड़ित ऐसे कई विवाहित-अविवाहित हैं,ं जिनके नाम से चिकित्सक वाकिफ हैं। नाम उजागर नहीं करने की कानूनी बाध्यता के कारण यहां भी ऐसा नहीं किया जा रहा है। हथबंद के डा. जमाल कुरैशी का कहना है कि जब वे रिपोर्ट देखते हैं तो उनका दिल दहल जाता है कि कुछ देर की खुशी के लिए युवा पीढ़ी तेजी से एड्स के मरीज होते जा रहे हैं। डा. कुरैशी का कहना है कि उनकी जानकारी में एक ऐसा परिवार है, जिसमें पति,पत्नी व उसके दोनों मासूम बच्चे भी एड्स से पीड़ित हैं और उनकी जिंदगी का ठिकाना नहीं हैं। यहां चूंकि एड्स का परीक्षण नहीं होता है, इसीलिए कई ऐसे मरीज हैं, जो शर्म या भय के कारण अपना इलाज भी नहीं कराते हैं या बाहर जाकर इलाज कराते हैं। जिनके बारे में किसी को पता नहीं चलता, लेकिन डाक्टर ऐसे मरीज को पहचान लेते हैं, तब जाकर हकीकत सामने आती है। वार्ड-7 में एक गरीब युवा है, जिसके बारे में पूरा शहर जानता है कि उसे एड्स हो गया है उसकी पत्नी लोगों से यही गुहार करती रहती है कि किसी भी तरह से उसे बचा लिया जाए, उसे लकवा मार दिया है, उसकी जिंदगी का भी कोई ठिकाना नहीं है। मिशन अस्पताल के डा.उमेश सूना अभी हाल में उड़ीसा में हैं, उनका भी कहना है कि उनकी जानकारी में वेश्याओं के कारण ही 70 से अधिक युवाओं को एड्स हो गया है। डा. भोजराज मोहनानी भी शहर के लोगों में फैल रहे एड्स के लिए वेश्याएं को ही दोषी मानते हैं। टीआई जगतपाल नारायण सिंह का कहना है कि पुलिस कई बार ऐसी महिलाओं पर कार्रवाई कर चुकी है, लेकिन महिला पुलिस की कमी के कारण दिक्कत होती है। श्री सिंह ने बताया कि जिन वाडरे में ऐसी महिलाएं रहती हैं, जो धंधा करती हैं, वहां नहीं जाने के लिए पुलिस एक बोर्ड लगाएगी तथा युवाओं को आगाह करेगी कि वे ऐसी महिलाओं से बचें। स्टेशन चौक में सबसे पहले बोर्ड लगाने का फैसला लिया गया है। सरकारी चिकित्सक मीना सेम्युअल का कहना है कि यहां एचआईवी परीक्षण की सुविधा नहीं है, इसीलिए ऐसे मरीजों की पहचान तुरंत नहीं हो पाती है, जब मरीज रिपोर्ट दिखाते हैं तब जानकारी होती है। डा. मीना का कहना है कि यहां रक्त देते समय भी एड्स का परीक्षण नहीं किया जाता, जो घातक भी हो सकता है। कुछ समाजसेवी संस्थाओं ने ऐसी महिलाओं की मेडिकल जांच करने पर जोर दिया है, जिससे कम-से-कम युवाओं को एड्स से बचाया जा सके।आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. ऐसा ही होता है, जब शासन, सत्ता, समाज़ व व्यक्ति सब धन,सत्ता, भौतिक सम्रद्धि के पीछे भागने लगते हैं। कथनी व रोग की जान्च,इलाज़ से क्या होने वाला है। पहले अनैतिक कार्य, जो टी वी,विग्यापन, सिनेमा ,हर पल डान्स, गाने, मनोरन्जन , बाज़ार, रुपया कमाना व विलासिता की अन्धी दौड को तो रोकिये. नैतिकता को तो परोसिये।

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--- संजय सेन सागर

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