तीरगी से डरते है।
यू दीये भी जलते है ।
साँप दोस्त बनकर ही
आस्ती में पलते है।
शेर जिंदगी के सब
आंसुओ से ढलते है।
राजघाट के सपने
कौडियों में बिकते है।
वाह क्या है फनकारी
आस्था को चलते है।
टूटना ही किस्मत है
जो कभी न झुकते है।
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही ''
यू दीये भी जलते है ।
साँप दोस्त बनकर ही
आस्ती में पलते है।
शेर जिंदगी के सब
आंसुओ से ढलते है।
राजघाट के सपने
कौडियों में बिकते है।
वाह क्या है फनकारी
आस्था को चलते है।
टूटना ही किस्मत है
जो कभी न झुकते है।
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही ''
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर