ईरान में विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पर ईरान के विपक्षियों के सार्वजनिक समर्थन का दबाव बढ़ा है मगर उन्होंने ऐसा करने से फ़िलहाल इनकार किया है.
एक टीवी साक्षात्कार में ओबामा ने कहा कि ईरान के मौजूदा राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद और उनके प्रतिद्वन्द्वी मीर हुसैन मूसावी की नीतियों में शायद ज़्यादा अंतर न हो.
ईरानी सेना की चेतावनी और विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत में हुए ख़ून-ख़राबे के बावजूद मूसावी के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन जारी रखे हैं.
तेहरान में मौजूद बीबीसी संवाददाता जॉन लेन के अनुसार शहर में माहौल काफ़ी तनावपूर्ण है और लोग ग़ुस्से में हैं.
ईरान में विदेशी मीडिया पर नए और कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
जॉन लेन का कहना है कि विदेशी मीडिया किसी तरह के विरोध प्रदर्शन में नहीं जा सकता.
लेन के मुताबिक़, "मगर सरकारी टेलीविज़न ने तेहरान के बीचोबीच सरकार समर्थकों की हुई एक रैली के दृश्य दिखाए थे. मगर वो रैली उतनी बड़ी नहीं थी जितनी विरोध प्रदर्शन करने वालों की थी."
वैसे सूचनाओं पर नियंत्रण की सरकारी कोशिशों के बावजूद ईरानी इंटरनेट का इस्तेमाल करके उन विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें और निजी अनुभव दुनिया को बता रहे हैं.
'दख़ल नहीं'
ओबामा का कहना है कि वह चाहते हैं कि ईरानियों की आवाज़ सुनी जाए मगर साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि वह ईरान के मामलों में दख़ल देते हुए नहीं दिखना चाहते.
उन्हें खुलकर बोलना चाहिए कि ये एक भ्रष्ट, धोखाधड़ी वाला और दिखावटी चुनाव है
जॉन मैकेन, रिपब्लिकन पार्टी सांसद
उन्होंने कहा, "अमरीका और ईरान के रिश्तों को देखते हुए ये फ़ायदेमंद नहीं होगा, हम ईरानी चुनाव में दख़ल देते नहीं दिखना चाहते."
ओबामा का कहना था, "मगर जब मैं शान्तिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों के विरुद्ध हिंसा देखता हूँ, जब मैं शान्तिपूर्ण विरोध को दबाया जाता देखता हूँ.... तो ये मेरे लिए चिंता की बात है और अमरीकी लोगों के लिए चिंता की बात है."
बाद में एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने ईरान में सत्ता संघर्ष को ज़्यादा अहमियत नहीं दी.
उन्होंने कहा, "नीतियों के मामले में अहमदीनेजाद और मूसावी में उतना अंतर शायद नहीं होगा जितना बताया जा रहा है."
इससे पहले मंगलवार को अमरीकी विदेश विभाग ने कहा कि उसने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर से अपील की है कि वह वेबसाइट में प्रस्तावित बदलावों का काम फ़िलहाल कुछ समय के लिए टाल दे जिससे ईरानी लोग उसका इस्तेमाल कर सकें.
वॉशिंगटन में मौजूद बीबीसी संवाददाता जस्टिन वेब का कहना है कि ओबामा मूसावी के पक्ष में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के मामले में अमरीका को डालना नहीं चाहते और वो ख़ासतौर पर इसलिए भी क्योंकि कुछ ख़ुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक़ शायद अहमदीनेजाद वास्तव में चुनाव जीते हैं.
ओबामा पर दबाव
तेहरान में अहमदीनेजाद समर्थकों ने भी रैली आयोजित की
अमरीका के कुछ रूढ़िवादी राजनेता चाहते हैं कि अमरीका विरोध प्रदर्शन करने वालों के पक्ष में खुलकर बोले.
पिछले साल हुए चुनाव में ओबामा से हारे रिपब्लिकन पार्टी के जॉन मैकेन ने कहा, "उन्हें खुलकर बोलना चाहिए कि ये एक भ्रष्ट, धोखाधड़ी वाला और दिखावटी चुनाव है."
ईरान की शक्तिशाली गार्डियन काउंसिल का कहना है कि वह चुनाव के कुछ मतों की गिनती फिर से करवाने के लिए तैयार है.
काउंसिल के एक प्रवक्ता ने बताया कि उन लोगों की राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात हुई है और उन्होंने कहा है कि आरोपों की वे जाँच करेंगे.
मगर विपक्षी उम्मीदवार चाहते हैं कि चुनाव ही दोबारा आयोजित किया जाए.
शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति अहमदीनेजाद को 63 प्रतिशत मतों के साथ विजेता घोषित किया गया था.
उनके निकटतम प्रतद्वन्द्वी मूसावी को 34 फ़ीसदी वोट मिले थे.
नतीजों के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे हैं और जब एक रैली के दौरान हिंसा हुई थी तो उसमें आठ लोगों की मौत भी हो गई थी.
एक टीवी साक्षात्कार में ओबामा ने कहा कि ईरान के मौजूदा राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद और उनके प्रतिद्वन्द्वी मीर हुसैन मूसावी की नीतियों में शायद ज़्यादा अंतर न हो.
ईरानी सेना की चेतावनी और विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत में हुए ख़ून-ख़राबे के बावजूद मूसावी के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन जारी रखे हैं.
तेहरान में मौजूद बीबीसी संवाददाता जॉन लेन के अनुसार शहर में माहौल काफ़ी तनावपूर्ण है और लोग ग़ुस्से में हैं.
ईरान में विदेशी मीडिया पर नए और कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
जॉन लेन का कहना है कि विदेशी मीडिया किसी तरह के विरोध प्रदर्शन में नहीं जा सकता.
लेन के मुताबिक़, "मगर सरकारी टेलीविज़न ने तेहरान के बीचोबीच सरकार समर्थकों की हुई एक रैली के दृश्य दिखाए थे. मगर वो रैली उतनी बड़ी नहीं थी जितनी विरोध प्रदर्शन करने वालों की थी."
वैसे सूचनाओं पर नियंत्रण की सरकारी कोशिशों के बावजूद ईरानी इंटरनेट का इस्तेमाल करके उन विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें और निजी अनुभव दुनिया को बता रहे हैं.
'दख़ल नहीं'
ओबामा का कहना है कि वह चाहते हैं कि ईरानियों की आवाज़ सुनी जाए मगर साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि वह ईरान के मामलों में दख़ल देते हुए नहीं दिखना चाहते.
उन्हें खुलकर बोलना चाहिए कि ये एक भ्रष्ट, धोखाधड़ी वाला और दिखावटी चुनाव है
जॉन मैकेन, रिपब्लिकन पार्टी सांसद
उन्होंने कहा, "अमरीका और ईरान के रिश्तों को देखते हुए ये फ़ायदेमंद नहीं होगा, हम ईरानी चुनाव में दख़ल देते नहीं दिखना चाहते."
ओबामा का कहना था, "मगर जब मैं शान्तिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों के विरुद्ध हिंसा देखता हूँ, जब मैं शान्तिपूर्ण विरोध को दबाया जाता देखता हूँ.... तो ये मेरे लिए चिंता की बात है और अमरीकी लोगों के लिए चिंता की बात है."
बाद में एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने ईरान में सत्ता संघर्ष को ज़्यादा अहमियत नहीं दी.
उन्होंने कहा, "नीतियों के मामले में अहमदीनेजाद और मूसावी में उतना अंतर शायद नहीं होगा जितना बताया जा रहा है."
इससे पहले मंगलवार को अमरीकी विदेश विभाग ने कहा कि उसने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर से अपील की है कि वह वेबसाइट में प्रस्तावित बदलावों का काम फ़िलहाल कुछ समय के लिए टाल दे जिससे ईरानी लोग उसका इस्तेमाल कर सकें.
वॉशिंगटन में मौजूद बीबीसी संवाददाता जस्टिन वेब का कहना है कि ओबामा मूसावी के पक्ष में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के मामले में अमरीका को डालना नहीं चाहते और वो ख़ासतौर पर इसलिए भी क्योंकि कुछ ख़ुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक़ शायद अहमदीनेजाद वास्तव में चुनाव जीते हैं.
ओबामा पर दबाव
तेहरान में अहमदीनेजाद समर्थकों ने भी रैली आयोजित की
अमरीका के कुछ रूढ़िवादी राजनेता चाहते हैं कि अमरीका विरोध प्रदर्शन करने वालों के पक्ष में खुलकर बोले.
पिछले साल हुए चुनाव में ओबामा से हारे रिपब्लिकन पार्टी के जॉन मैकेन ने कहा, "उन्हें खुलकर बोलना चाहिए कि ये एक भ्रष्ट, धोखाधड़ी वाला और दिखावटी चुनाव है."
ईरान की शक्तिशाली गार्डियन काउंसिल का कहना है कि वह चुनाव के कुछ मतों की गिनती फिर से करवाने के लिए तैयार है.
काउंसिल के एक प्रवक्ता ने बताया कि उन लोगों की राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात हुई है और उन्होंने कहा है कि आरोपों की वे जाँच करेंगे.
मगर विपक्षी उम्मीदवार चाहते हैं कि चुनाव ही दोबारा आयोजित किया जाए.
शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति अहमदीनेजाद को 63 प्रतिशत मतों के साथ विजेता घोषित किया गया था.
उनके निकटतम प्रतद्वन्द्वी मूसावी को 34 फ़ीसदी वोट मिले थे.
नतीजों के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे हैं और जब एक रैली के दौरान हिंसा हुई थी तो उसमें आठ लोगों की मौत भी हो गई थी.
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर