अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा
भाई जी देश या विश्व की राजनीति तो ऐसे ही चलती आई है और ऐसे ही चलेगी. हम बहुत बडी-बडी बाते करते है, लिखना एक कला है और इसमे बहुत लोग पारंगत होते हैँ, किंतु जो लिखते हैँ उसे कितने लोग अपने जीवन मैँ उतारते है, यह महत्वपूर्ण है. भाषण देना, ब्लोगिंग करना एक अलग बात है और ईमानदारी, सत्य और देश व समाज को प्राथमिकता देकर अपने व परिवार से जुडे निर्णय करना एक अलग बात है. आलोचना करना जितना सरल है, उतना ही कठिन है अपने आचरण मे उसको ढालना. जिस प्रकार अपने स्वार्थ के लिये ईश्वर का नाम सभी लेते है किंतु वास्तव मे ईश्वर को मानने वाला, जो उस पर पूर्ण विश्वाश करता हो और उसके अनुरूप आचरण भी हो मुझे तो आज तक कोई मिला नहीँ, अतः मेरा विचार है कि हमे आलोचना से बचकर सकारात्मक कुछ करना चाहिये. हम दुनिया को नही बदल सकते, किंतु अपने आप को बदल सकते है किंतु यह ब्लोगिंग की तरह सरल नही है. अतः आओ अपने से शुरूआत करेँ.
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