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माँ तुझे सलाम...


माँ...कितना अद्भुत और सम्पूर्ण शब्द है ..जिसकी कोई तुलना ही नहीं है..!सभी भाषाओँ में ये शब्द सबसे लोकप्रिय है..!जब भी कोई व्यक्ति दुखी होता है तो उसके. मुंह से यही शब्द निकलता है..!माँ होती भी ऐसी है..तभी तो बच्चा माँ की उपस्थिति मात्र से चुप हो जाता है..!उसके आँचल और सानिध्य में ही वह सुरक्षित महसूस करता है..!कहा भी गया है पूत ,कपूत हो सकता. है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती..!वह स्वंय.. भूखी रह कर भी बच्चे को खिलाती है,स्वंय. गीले में सोकर भी उसे सूखे में सुलाती है..ऐसी होती है..माँ!कहते है की एक अकेली माता अपने सभी बच्चों को प्यार से पाल लेती है,लेकिन वही बच्चे सारे मिल कर भी एक माँ को नहीं पाल सकते..!माँ सभी के लिए ममता लुटाती है...उसे अपने सभी बच्चे समान .रूप से..प्रिय होते है..! बच्चे कोई भूल कर दे तो भी वह बच्चों को भूलती नहीं है.!.....पन्ना धय जैसी माँ ने जहाँ अपनी ममता की नई मिसाल पेश की वहीँ हँसते हँसते अपने बेटों को .युद्घ..भूमि में भेजने वाली भी एक माँ ही होती है...."मदर्स डे" पर मैं माँ को बारम्बार नमन....करता हूँ..!

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...