Skip to main content

शेरे बाजारों में लौटी रौनक


आलमी बाजारों में आई तेज़ी और गैर मुल्की वो घरेलु सरमाया कारों
ओबार के दरमियान घरेलु शेरे बाजारों में आज लगातार
नवी हफ्ता तेज़ी रखते हुए ज़बरदस्त दौड़ लगायी इससे बी एस इ का
सेंसेक्स १२,००० तक पहुँच गया कुल ७३१.५० पॉइंट्स के साथ १२१३४.७५ की सतह पर बाँध हुआ , एन एस इ
का निफ्टी १८० पॉइंट्स की तेज़ी के साथ ३५,०० की सतह को पार करते हुए ३६५४ पॉइंट्स पर बाँध हुआ, लिहाजा ७ माह में शेरे बाज़ार की यह सबसे ऊंची उड़ान है
इ टी , बैंकिंग, मेटल , ऍफ़, एम् ,की, जी और तेल और गैस के SHERE में मजबूती से
बाज़ार को बुन्याद मिली और उनमे तेज़ी का रुख देखा गया कारोबार की शुरुवात में
बाज़ार मजबूती के साथ खिले ,, इस परकार शेरे बाज़ार में जैसे कोई रौनक आगई हो .....आगे का हाल लेकर फिर रूबरू हूँगा ...शुक्रिया
आपका दोस्त
अलीम




Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा