संजय सेन सागर जी हिन्दुस्तान का दर्द के संपादक है और उनकी यह रचना दैनिक भास्कर के ''रसरंग'' में पहले पढने को मिली थी जिसे आज तक संभाल कर रखा था आज आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ,मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की यह नज्म आपके दिल तक पहुंचेगी...
संजय सेन सागर जी ने अपनी उम्र से बहुत ही बड़े काम किये है,उनकी आयु अभी मात्र २० साल है और उन्होंने अभी से ही बह मुकाम हासिल कर लिया है जिसे हासिल करने मे एक लम्बा अर्सा बीत जाता है.
तो आप आनंद लीजिये इस नज्म का और हम कामना करते है की आप सदा माँ के आँचल के तले बने रहें....
वह अब भी मुझे मां कहता है।
सताता हैं रुलाता है
कभी कभी हाथ उठाता है पर
है वह मुझे मां कहता है।
मेरी बहू भी मुझे मां कहती हैं
उस सीढ़ी को देखो,मेरे पैर के
इस जख्म को देखो,
मेरी बहू मुझे
उस सीढ़ी से अक्सर गिराती है।
पर हाँ,वह मुझे मां कहती है।
मेरा छोटू भी बढिया हैं,
जो मुझ को दादी मां कहता है,
सिखाया था ,कभी मां कहना उसको
अब वह मुझे डायन कहता हैं
पर हाँ
कभी कभी गलती सें
वह अब भी मुझे मां कहता है।
मेरी गुड़िया रानी भी हैं ,जो मुझको
दादी मां कहती है
हो गई हैं अब कुछ समझदार
इसलिए बुढ़िया कहती हैं,लेकिन हाँ
वह अब भी मुझे मां कहती है।
यही हैं मेरा छोटा सा संसार
जो रोज गिराता हैं
मेरे आंसू ,रोज रुलाता हैं खून के आंसू
पर मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि वे सभी
मुझे मां कहते है।
संजय सेन सागर जी ने अपनी उम्र से बहुत ही बड़े काम किये है,उनकी आयु अभी मात्र २० साल है और उन्होंने अभी से ही बह मुकाम हासिल कर लिया है जिसे हासिल करने मे एक लम्बा अर्सा बीत जाता है.
तो आप आनंद लीजिये इस नज्म का और हम कामना करते है की आप सदा माँ के आँचल के तले बने रहें....
वह अब भी मुझे मां कहता है।
सताता हैं रुलाता है
कभी कभी हाथ उठाता है पर
है वह मुझे मां कहता है।
मेरी बहू भी मुझे मां कहती हैं
उस सीढ़ी को देखो,मेरे पैर के
इस जख्म को देखो,
मेरी बहू मुझे
उस सीढ़ी से अक्सर गिराती है।
पर हाँ,वह मुझे मां कहती है।
मेरा छोटू भी बढिया हैं,
जो मुझ को दादी मां कहता है,
सिखाया था ,कभी मां कहना उसको
अब वह मुझे डायन कहता हैं
पर हाँ
कभी कभी गलती सें
वह अब भी मुझे मां कहता है।
मेरी गुड़िया रानी भी हैं ,जो मुझको
दादी मां कहती है
हो गई हैं अब कुछ समझदार
इसलिए बुढ़िया कहती हैं,लेकिन हाँ
वह अब भी मुझे मां कहती है।
यही हैं मेरा छोटा सा संसार
जो रोज गिराता हैं
मेरे आंसू ,रोज रुलाता हैं खून के आंसू
पर मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि वे सभी
मुझे मां कहते है।
bhaut khoob sanjay ji aasha hai aap mere is kadam se khush honge
ReplyDeleteजो रोज गिराता हैं
ReplyDeleteमेरे आंसू ,रोज रुलाता हैं खून के आंसू
पर मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि वे सभी
मुझे मां कहते है।
vaah! kyaa baat hai...... ati sunder ...aur bhavatmak......thankx
HAPPY MOTHERs DAY
संजय जी
ReplyDeleteआशीर्वाद देने का मन हो रहा है। इतनी सशक्त प्रस्तुति की आँख से आँसू निकल आए। माँ का सत्य यही हैं। माँ तो बस 16 साल तक ही माँ है। फिर तो एक रिश्ते को ढोने का भ्रम है।
ये कविता दिल को छू गयी संजय जी को बहुत बहुत अशिर्वाद शुभ्काम्नयें और बधाई वो एक दिन जरूर सहित्य के क्षितिज छू लेंगे
ReplyDeleteआज की वास्तविकता है , वास्तव मै तो यह सदा से होता आया है,कन्स जैसे भी मां बाप को कैद करने वाले थे ,हां आज अधिकतर यह होता है, पर यह सब अनैतिकता की बातें हें, मां की महिमा कभी कम नहीं होती ।
ReplyDeletebhot hi umda ....wese bhi maa par koi bhi baat buri ho nahi sakti ...or ye to jabki ..itni sundar rachna hai....jai ho
ReplyDeleteaajkal maa waqayi isi tarah tadap rahi hai khud ke astitav ko bachane ke liye
ReplyDeletebahut ghari rachna lagi
आपकी नज़म ...दिल को छू गयी दोस्त
ReplyDeleteये आज के वक़्त की कड़वी सच्चाई है
माँ ...माँ तो है ..पर औलाद का स्वरुप बदल गया है
आप लोगों ने इस रचना को पढ़ा मैं आपका शुक्रगुजार हूँ
ReplyDeleteसच कहा माँ के ऊपर से कुछ भी लिखो सीधा दिल तक जाता है
आगे भी आप लोग यहाँ आते रहे यही आग्रह है
आप लोगों ने इस रचना को पढ़ा मैं आपका शुक्रगुजार हूँ
ReplyDeleteसच कहा माँ के ऊपर से कुछ भी लिखो सीधा दिल तक जाता है
आगे भी आप लोग यहाँ आते रहे यही आग्रह है
बहुत गहरी रचना ....!१
ReplyDeleteसाधुवाद .....!!
boht hi dard bhari kavita hai......
ReplyDeleteसंजय आज तुम्हारी पोएम पढ़कर लगा की सच तू बढा हो गया
ReplyDeleteइतनी बढ़ी और गहरी बात कोई छोटा नहीं कह सकता
जीते रहो
संजय आज तुम्हारी पोएम पढ़कर लगा की सच तू बढा हो गया
ReplyDeleteइतनी बढ़ी और गहरी बात कोई छोटा नहीं कह सकता
जीते रहो
sanjaji
ReplyDeleteitni marmsprshi aur itni gahrai liye kavita vah
maa ke dard ko uski mhanta me smeta hai .bhut badhai aur anekanek ashirwad itni kam umr me ase bhav mai to kayl ho gai tumhari .
sanjay.........jaise adbhut aap ho vaisi hi to aapki kavita ko bhi hona hogaa....aapne vaakayi bahut hi marmsparshi likh dala hai.....!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!मात्री दिवस की शुभकामनायें! बहुत ही अच्छा लिखा है आपने! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं! आज माँ की वजह से ही इस दुनिया में कदम रखे हैं!
ReplyDeleteआप मेरा ये ब्लॉग परियेगा ! मैंने मात्री दिवस पर लिखा है!
http://urmi-z-unique.blogspot.com
sanjay ji ...aap ne bahut hi behtareen rachna likh dali jo dil ko chu gayi...badhai ho
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसंजय .... बहुत हीं बेहतरीन रचना लिख डाली है , तुमने तो ;
ReplyDeleteऔर ख़ुशी ये है कि तुमने भी माँ के दिल को पूरा समझा .... ऐसे हीं माँ का आर्शीवाद तुम्हे मिले ..... और सच कहा तुमने अपनी रचना में .... कुछ ऐसी हीं होती है माँ
अभिषेक
अरे भाई सजयजी
ReplyDeleteक्या बात है हिन्दुस्थान के दर्द के लेखको को छुटी पर भेज दिया है क्या ? कल से मुख्य पृष्ट पर मॉ के साथ आप बिराज रहे है। भाई लाईन खोलो, लिखने वालो कि लाईन लगी पडी है हिन्दुस्थान के दर्द पर। आपने नेटवर्क जाम कर रखा है। और कभी कभी प्रभु के पास भी आया करो भाई।
maa sachmuch ishwar hoti hai.
ReplyDeletekavita ke liye badhai.
आप लोग तक आये सुक्रिया
ReplyDeleteमात्व दिवस की आप सभी को बधाई !
hey prabhu!!
ReplyDeleteji aisi koi baat nahi hai koi kahi nahi gaya hai
wo to usko sabse upar set kiya hai to baanki ki poest neeche ja rahi hai !
haan jarur aayenge kyon nahi
बहुत बढ़िया लिखा है संजय जी..आप इसी तरह आगे बढ़ते जाएँ यही दुआ है !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है संजय जी..आप इसी तरह आगे बढ़ते जाएँ यही दुआ है !
ReplyDeleteवाह भाई संजय मजा आया साथ में आंसू
ReplyDeleteदोस्त गजब कर दिया तुमने तो रुला ही दिया
ReplyDeleteवाह बाह संजय भैया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
vo log maha murkh hote hai jo apni maa ko satate hai
ReplyDeleteunse pucho jiki maa nahi hoti
vo jhoote pyar ko taras jaate hai
AAJ MAA KI STHTI VAKAI YAHI HE SAMAJ ME. LEKIN JIMMEDAR KAUN ? AAO HUM SAB MILKAR SOCHEY .SANJAY BHAI DARD KE SAGAR KO MERA MAMASKAR.ASHOK KHATRI BAYANA RAJASTHAN
ReplyDeleteDil ko chuu dene vaali rachna..bahut-2 badhai..
ReplyDeleteतुम सच मै माँ से जुड़े हो दोस्त जिसके दिल का दर्द अपनी बातो से ब्यान कर पाए तुम सच मै एक अच्छे लेखक हो !
ReplyDeleteमा तो माँ है माँ जैसी दुनिया में कोई ओर नहीं
ReplyDeleteवाह संजय क्या रचना है