भाई श्याम सखा श्याम ! आपको प्रणाम !
राजनीति का मतलब समझते होंगे शायद !राजनीति मतलब सत्ता यानि शक्ति हासिल करने का उपक्रम . इतना तो समझना ही चाहिए कि मतभेद होने से मनभेद होना जरुरी नहीं होता . सलीम जी ने अपनी पोस्ट में आडवानी , साध्वी ऋतंभरा , उमा भारती , अशोक सिंघल , विनय कटियार , वरुण गाँधी , नरेंद्र मोदी समेत सबो के चहेते आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जी का भी जिक्र किया है . आपने उस पोस्ट पर अपनी टिप्पणी में सभी के लिए " दोगले" जैसे अपशब्द का प्रयोग किया है . उनके सम्बन्ध में कुछ कहने से पहले उनके धुर विरोधी भी सौ बार सोचते हैं ! अटल जी के बाद एक मात्र सोमनाथ दादा को ही ऐसा सम्मान प्राप्त है . भारतीय राजनीति के पितामह कहकर खुद वर्तमान प्रधानमंत्री ने जिन्हें संबोधित किया हो उनके व्यक्तित्व पर शक करना आपकी ओछी मानसिकता और वैचारिक दरिद्रता का परिचायक है .
मैं सलीम जी के विचारों का सम्मान करता हूँ इसलिए कि हमारे यहाँ तालिबान का शरियत लागु नहीं है . भारत वर्ष में लोकतंत्र है और 'विरोध' लोकतंत्र के लिए प्राणवायु का काम करता है । विरोध को अगर सम्मान न मिले तो लोकतंत्र को मृत समझा जाना चाहिए । हमारे यहाँ तो सम्मान की यह भावना कब की दम तोड़ चुकी है । विरोध के सारे संस्थानों को हाइजैक किया जा चुका है। पटना का हड़ताली चौंक हो या दिल्ली का जंतर-मंतर हजारों लोग जुलुस लेकर चीखते-चिल्लाते हैं और चले जाते हैं । कहीं कोई सुनने वाला नही ! नतीजा वही ढाक के तीन पात ! राजधानी में विरोध का , अपनी बात कहने का एक और संस्थान पिकनिक प्लेस में तब्दील हो चुका है । किसी साधारण आदमी के बस की बात नही कि वो यहाँ बुकिंग कर सके । कभी जन- आन्दोलनों की दिशा तय करने वाले जगहों पर आज बड़े- बड़े नेताओं की टेबल पॉलिटिक्स होती है । वस्तुतः सलीम जी हों या ,, आप अथवा हम या कोई अन्य सबको अपनी बात कहने का हक़ है लेकिन सामाजिक मर्यादा का ध्यान रहे !
सलीम जी अब आपके लिए कुछ कह रहा हूँ इसे व्यक्तिगत नहीं लेंगे . मैं वाद-विवाद में नहीं संवाद करता हूँ .
अब तक सुनते आए हैं" भाजपा एक साम्प्रदायिक दल है " । बार-बार बाबरी मस्जिद विध्वंस और गोधरा का राग का गायन सभी तथाकथित सेकुलर दल करते रहते हैं । चुनाव प्रचार चरम पर है । लालू , पासवान , मुलायम , सोनिया , राहुल , समेत वामपंथी नेता भी सेकुलर बयान दे रहे हैं । मुस्लिम वोट बैंक के खातिर ये सेकुलर आपस में भी भिड जाते हैं । आज ही लालू ने कहा " - बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कांग्रेस भी दोषी " । चलिए मान लिया कि भाजपा के पास साम्प्रदायिकता ही एक मुद्दा है । पर हर कोई तो उसी साम्प्रदायिकता कीआग पर अपना -अपना वोट बैंक गरम कर रहे हैं ।अगर भाजपा हिंदू वोट बैंक ( जो कभी एक साथ नही होते , क्योंकि हमें तो छद्म सेकुलर होने का शौक चढा है ) की राजनीति करती है तो और सारे दल मुस्लिम वोट बैंक( जो एक मुस्त बगैर सोचे -समझे भावना में बह कर मतदान करते हैं) की राजनीति करते हैं । ज्यादा बताने की जरुरत नही है किये छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं कीअसलियत क्या है ? धर्म को अफीम बताने वाले वामपंथियों के लिए केवल धर्म अछूत है बाकीसब चलता है । केरल में कट्टरपंथी अब्दुल नासिर मदनी से मिलकर चुनाव लड़ने की ख़बर अभी कुछ दिन पहले ही जनसत्ता ने प्रकाशित की थी । प्रश्न है कि बार-बार राम-जन्मभूमि के मुद्दे को उठाकर मुस्लिमो की भावना भड़काना कहाँ तक उचित है ? अगर वाकई लालू जैसे सेकुलरों को मुसलमानों की चिंता है तो मन्दिर-मस्जिद से हटकर उनके शिक्षा - स्वस्थ्य - रोजगार की बात क्यूँ नही करते ? कुल मिला कर मुद्दे की बात यह है कि सांप्रदायिक भाजपा कुछ करती है तो समझ में आता है लेकिन इन सेकुलरों के कारनामे जनता तक पहुँचने चाहिए .
राजनीति का मतलब समझते होंगे शायद !राजनीति मतलब सत्ता यानि शक्ति हासिल करने का उपक्रम . इतना तो समझना ही चाहिए कि मतभेद होने से मनभेद होना जरुरी नहीं होता . सलीम जी ने अपनी पोस्ट में आडवानी , साध्वी ऋतंभरा , उमा भारती , अशोक सिंघल , विनय कटियार , वरुण गाँधी , नरेंद्र मोदी समेत सबो के चहेते आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जी का भी जिक्र किया है . आपने उस पोस्ट पर अपनी टिप्पणी में सभी के लिए " दोगले" जैसे अपशब्द का प्रयोग किया है . उनके सम्बन्ध में कुछ कहने से पहले उनके धुर विरोधी भी सौ बार सोचते हैं ! अटल जी के बाद एक मात्र सोमनाथ दादा को ही ऐसा सम्मान प्राप्त है . भारतीय राजनीति के पितामह कहकर खुद वर्तमान प्रधानमंत्री ने जिन्हें संबोधित किया हो उनके व्यक्तित्व पर शक करना आपकी ओछी मानसिकता और वैचारिक दरिद्रता का परिचायक है .
मैं सलीम जी के विचारों का सम्मान करता हूँ इसलिए कि हमारे यहाँ तालिबान का शरियत लागु नहीं है . भारत वर्ष में लोकतंत्र है और 'विरोध' लोकतंत्र के लिए प्राणवायु का काम करता है । विरोध को अगर सम्मान न मिले तो लोकतंत्र को मृत समझा जाना चाहिए । हमारे यहाँ तो सम्मान की यह भावना कब की दम तोड़ चुकी है । विरोध के सारे संस्थानों को हाइजैक किया जा चुका है। पटना का हड़ताली चौंक हो या दिल्ली का जंतर-मंतर हजारों लोग जुलुस लेकर चीखते-चिल्लाते हैं और चले जाते हैं । कहीं कोई सुनने वाला नही ! नतीजा वही ढाक के तीन पात ! राजधानी में विरोध का , अपनी बात कहने का एक और संस्थान पिकनिक प्लेस में तब्दील हो चुका है । किसी साधारण आदमी के बस की बात नही कि वो यहाँ बुकिंग कर सके । कभी जन- आन्दोलनों की दिशा तय करने वाले जगहों पर आज बड़े- बड़े नेताओं की टेबल पॉलिटिक्स होती है । वस्तुतः सलीम जी हों या ,, आप अथवा हम या कोई अन्य सबको अपनी बात कहने का हक़ है लेकिन सामाजिक मर्यादा का ध्यान रहे !
सलीम जी अब आपके लिए कुछ कह रहा हूँ इसे व्यक्तिगत नहीं लेंगे . मैं वाद-विवाद में नहीं संवाद करता हूँ .
अब तक सुनते आए हैं" भाजपा एक साम्प्रदायिक दल है " । बार-बार बाबरी मस्जिद विध्वंस और गोधरा का राग का गायन सभी तथाकथित सेकुलर दल करते रहते हैं । चुनाव प्रचार चरम पर है । लालू , पासवान , मुलायम , सोनिया , राहुल , समेत वामपंथी नेता भी सेकुलर बयान दे रहे हैं । मुस्लिम वोट बैंक के खातिर ये सेकुलर आपस में भी भिड जाते हैं । आज ही लालू ने कहा " - बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कांग्रेस भी दोषी " । चलिए मान लिया कि भाजपा के पास साम्प्रदायिकता ही एक मुद्दा है । पर हर कोई तो उसी साम्प्रदायिकता कीआग पर अपना -अपना वोट बैंक गरम कर रहे हैं ।अगर भाजपा हिंदू वोट बैंक ( जो कभी एक साथ नही होते , क्योंकि हमें तो छद्म सेकुलर होने का शौक चढा है ) की राजनीति करती है तो और सारे दल मुस्लिम वोट बैंक( जो एक मुस्त बगैर सोचे -समझे भावना में बह कर मतदान करते हैं) की राजनीति करते हैं । ज्यादा बताने की जरुरत नही है किये छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं कीअसलियत क्या है ? धर्म को अफीम बताने वाले वामपंथियों के लिए केवल धर्म अछूत है बाकीसब चलता है । केरल में कट्टरपंथी अब्दुल नासिर मदनी से मिलकर चुनाव लड़ने की ख़बर अभी कुछ दिन पहले ही जनसत्ता ने प्रकाशित की थी । प्रश्न है कि बार-बार राम-जन्मभूमि के मुद्दे को उठाकर मुस्लिमो की भावना भड़काना कहाँ तक उचित है ? अगर वाकई लालू जैसे सेकुलरों को मुसलमानों की चिंता है तो मन्दिर-मस्जिद से हटकर उनके शिक्षा - स्वस्थ्य - रोजगार की बात क्यूँ नही करते ? कुल मिला कर मुद्दे की बात यह है कि सांप्रदायिक भाजपा कुछ करती है तो समझ में आता है लेकिन इन सेकुलरों के कारनामे जनता तक पहुँचने चाहिए .
bhai hai hi doogle to aur kya kaha jayee
ReplyDeletemain chup rahonnga
ReplyDeletemain kavita likhta rahoonga
gujraat jal raha hai.......
are samne nahi aakar to doglepan ka kaam aap kar rahe hain..............
ReplyDeletesanjay, agar shyam sakhaa ji ne aad arneey ataljiva anya ke liye esaa kahaa hai to vastav main unakaa doglaapan hai. kyonki sakhaaji to raashtr- dharm patrika ka puraskaar lene jarahe hain, jo atalji ka he hai.
ReplyDeletegood, sanjay, aapne saleem kee baaton kaa sahee jabav diyaa hai evam chhadm dharm nirapeksh,secular logon kee theek-theek khichaaee kee hai.
कवि को सर्व -निरपेक्ष होना चाहिये।
ReplyDeleteनेताओं की विश्वसनीयता को आज हर कोई पहचान गया है.
ReplyDeleteआस्था और विश्वास को नेताओं ने जितना छला है,
ये किसी से छुपा नही है अब चाहे वे अटल जी हों
या हमारे आस पास का सड़क छाप नेता.
आज तक कोई भी नेता हमारी कसौटी
और हमारी उम्मीदों पर खरा नही उतरा है,
हमने जिन पर भी विश्वास किया है
उन्होंने ही हमें ठगा है.
मेरी दो पंक्तियाँ--
आज जिन्हें अपना कहते है,
(वोट देकर चुनते हैं )
वही पराए होते हैं ,
जनता के वादों को भूलकर
नींद चैन की सोते हैं.
- विजय तिवारी "किसलय "
sahi baat boli tiwari jiiiiiiiiiii atal shatal sab ik hi taili ke chatte batte hai...
ReplyDeleteaor bhai jayraam bahut shor macha rahe anaam anaam ka kayi dino se naam rakhne se kya hota hai
chalo main aapna naam siyaram rakh leta hoon aur isi se post karonga
and for your info mr jayaram i dnt have any blog and id to post with
unhen Dogle na kahen to kya kahen? kabhi voton ke liye gujarat jaa kar rote hai, kabhi apne ko bharat maa ka sapoot mante hai, shahidon ke KAFAN choorakar,
ReplyDeleteUma to kabhi Advani ko bura kahati hai bad me use Advani me bhaiya nazar aate hai. Varoon to na jane kiski Aulad hai jo Ram ke nam par Dhabba lagata hai Agar bhai sach bola hai to Mukar kyoN jate ho?apni bat par kayam raho na?
Advani pakistan jakar Jinnah ko ek nek Insan bata te hai.Unki mazaron pe jate hai.Modi udhar Godhra me jale hue sabhi ko karsevak kahta hai are usme to kai log muslim bhi the. itni ochhi rajniti? chhit!!!!!!!
Sanjayji kya aise logon ko DOGLA nahi kaha to kya kahen? tum hi batao.
Teri maan ki jai ho..
ReplyDeletebahan ke muli ... gazar .. baingan..
sale dhukna hai to wahi dhuko na jahan ki aadat hai..
bahan ke ball ke chillar... atal ji ke bare mein kuchh bhi bola to tumhari maa tumse naraz ho jayegi.. karan unse puchh lena
salon.... miyan tiyan... maa ke uska bharta banaa band karo..
Atyant dukhad hai jo kuchh chal raha hai anonymous ke naam se....is tarah ki gali galauz se wyakti apni adhkachri mansikta ko hin pradarshit karta hai.. batein tathyaparak aur agrahi honi chahiyein..
ReplyDeletelo bhai jayram
ReplyDeletejahan aa gaye hai siyaram
main chup rahonga
main kavita likhta hoo
gujrat jal raha hai......
ho gayi jairam ki tassali
arre aur anonymous 22 app bhi koi naam rakh lo ta ki jayram ki tassali ho jaye
।जो अनाम है ,गुम्नाम है anonymous है, उसका क्या भरोसा ,दोगला ही हो सकता है ,
ReplyDelete-वो कोई पर्दा नशीं है जानते थे खूब ,
-उन की बातों मैं न आयें जानिये हुज़ूर।
पर्दों की बात पर्दे में ही रहने दीजिये।
पर्दे का है चलन यहां रहने दीजिये
अगर अटल जी दोगले हैं तो मैडम जी क्या दूध की धुली हैं ............ सब से बड़ी दोगली तो वो हैं और उनकी सेना हैं ..........ये बात तो बच्चा बच्चा जानता है .........वर्तमान जीवित व्यक्तियों में यदि कोई सबसे पहले प्रधान मंत्री बन्ने लायक है तो वो अटल जी हैं
ReplyDeleteabhe oye madam kahan se aa gayii
ReplyDeletekisi ne yeh to nahin ki wo dogli nahin ho sakti
baat jaha ye chal rahi ki sabhi dogle hai aur inme makhotta atal bhi aata hai........
" बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिल्या कोई , जो दिल ढूंढा आपना मुझसे बुरा न कोई " अरे भाई ! सियाराम ! पहले तो आपको सियाराम नाम रखने पर बधाई क्यूंकि तथाकथित सेकुलर लोग तो राम के नाम से भी घबराते हैं . धर्म को अफीम कहने वाले मार्क्सवादी भी लोगों के लिए राम अछूत हैं बांकी सब चलता है . कारन कि हिन्दुओं के अतिरिक्त दुसरे लोग " वोट बैंक " बगैर सोचे समझे फिरकापरस्ती में वोट करते हैं ... .................... अरे भाई आप तो सभी को दोगला कह रहे हैं पर इससे कोई फायदा है क्या ? इस तरह किसी को गरियाना सबसे आसान काम है समझे !अटल ने इस देश को इतना कुछ दिया है कि उतना सोचने कि भी औकात आप के मस्तिष्क को नहीं है . सेकुलार्ता का ढोंग रचने वाले आप जैसे लोग ही वाकई में दोगले हैं. आपके आका लोग उलेमाओं के पैरो में गिर कर वोट मांगते हैं तब आप कहा चले जाते हैं . भाजपा के साथ सरकार बनाना गवारा नहीं पर केरल के आतंकवादी मदनी , बंगलादेशी बदरुद्दीन अजमल से हाथ मिलाने में परहेज नहीं . अरे शर्म करो . इस देश में आपका भी उतना ही कर्तव्य है एक नागरिक होने के नाते . आप बताओ सांप्रदायिक सद्भाव हेतु आपने क्या किया है अब तक ? आप करेंगे कैसे दूसरो को गरियाने से फुर्सत मिले तब न .............. आप जैसे लोग कीचड़ के सामान हैं जहाँ पत्थर नहीं फेंकना चाहिए जय हिंद .!
ReplyDeletedogle log aksar dusron ko bhi dogla samajhte hain. hamare jankari mein to dogla mane "warn-shankar" .............. to beta dogla kaun hai ye faisla khud kar lo ............... dogla to rajeev se lekar rahul aur priyanka sab ke sab dogle hain...........................lagta hai tere baap ka bhi ata-pata nahi hai .............
ReplyDeleteअनाम जी,दूसरों के बाप तक पहुंचना बहुत आसान है और आप जो नाम छुपकर कर रहे हो उससे यह लग रहा है की आपके बाप का पता नहीं जिससे नाम बताने मे संशय है की तुम्हारा बाप कौन है,इस तरह की हरकतों से मंच पर गंदगी मत फैलाओ
ReplyDeleteअनाम जी,दूसरों के बाप तक पहुंचना बहुत आसान है और आप जो नाम छुपकर कर रहे हो उससे यह लग रहा है की आपके बाप का पता नहीं जिससे नाम बताने मे संशय है की तुम्हारा बाप कौन है,इस तरह की हरकतों से मंच पर गंदगी मत फैलाओ
ReplyDeleteoye 22 jayram kya baat hai atal ne desh ko kya diya ?????????
ReplyDeletesirf yeh diya hai 50 saal election larrke aakhri waqt gaddi mil gayii
ekk baat bata de aor ...........
aor ram ki baat ki hai aapnee to sun lo ram sirf insaan ke andar hota hai bahar kabhi koi na tha.....
bahar wala ram loko ko befqoof banane ke liye gharrra hai pandito ne....
jayram jiii aap kabhi dango aur dangayia main ghire nahin ho aur aapse kisi danghayi ne aapka dharam nahin putcha
ReplyDeletekya khhoob naam dhooond diya hai aapke mai baap bjp walo ne shadam dharamnirpekshta
main kisi dharam ko nahin maanta na aapke dharam ko na hi us dharam ko jiske khilaaff appke mannn main khoot khoot kar nafrat bhari gayi hai janam se
agar kisi ki aur ungli karni hai to pehle apni gireban main karo jani ki dalito ko faide milte hai binawajah ke jaat ke naam aur fir musalmano ko khush karne ke iljaam laye nahin chup ho kar ghar baith kar pothi khol lo......
jai sree ram ! atal jee ko kuchh kahne wale haramio ek bar milo to fir batate hain
ReplyDeletehey prabhu ! lagta hai blogging ki duniya mein latthmaro ki bharmar hai ! h
ReplyDeleteक्या लिखू और क्या कहू ,,दूसरो की बात करते करते खुद पर ही आ गये,,क्या आप ब्लॉग कई लायक है ..और सियाराम जी शुक्र है आप ने राम को कही माना तो सही......
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