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ये ई - सिगरेट क्या है भला!


ई मेल, ई ग्रीटिंग्स, ई बैंकिंग, ई बुकिंग, ई टिकट तो सुना है लेकिन क्या आप बता सकती हैं कि ई सिगरेट क्या होती है. ये सवाल किया है दुर्गापुर, अंगुल उड़ीसा से ज्योतिरंजन बिस्वाल ने.

ई सिगरेट, सामान्य सिगरेट का मैकाट्रॉनिक रूप है. आसान भाषा में कहें तो ये एक उपकरण है. यह सामान्य सिगरेट जैसी ही दिखती है लेकिन उससे थोड़ी लम्बी होती है. जो हिस्सा मुंह में दबाया जाता है उसमें एक कार्टरेज होती है जिसमें निकोटीन और प्रॉपेलिन ग्लाइकोल का तरल भरा रहता है. बीच का सफ़ेद हिस्सा एटमाइज़र होता है और सामने के सफ़ेद हिस्से में बैटरी लगी होती है. जब व्यक्ति इससे कश लेता है तो सैंसर, हवा के बहाव को पहचान लेता है. फिर एटमाइज़र, निकोटीन और प्रॉपेलिन ग्लाइकोल की नन्ही नन्ही बूंदों को इस हवा में फेंकता है. इससे जो वाष्प का धुंआ तैयार होता है उसे व्यक्ति भीतर खींचता है और उसे लगता है कि वह सचमुच की सिगरेट पी रहा है. तंबाकू पीने से ई सिगरेट पीना बेहतर बताया जाता है क्योंकि सामान्य सिगरेट में तंबाकू जलने से जो हानिकारक तत्व पैदा होता है वह ई सिगरेट में नहीं होता. लेकिन क्योंकि इससे निकोटीन शरीर में जाती है इसलिए नुकसान तो होता ही है.

ग्राम मुरार, बक्सर बिहार के मणिकांत तिवारी ने सवाल किया है कि क़ुरआन में आयत और कलमा क्या होते हैं.
क़ुरआन में जो बयान हैं अनुवाक्य हैं उन्हें आयत कहते हैं. आयत शब्द का अरबी भाषा में अर्थ है चिन्ह या चमत्कार. क़ुरआन में 6236 आयत हैं जिन्हें मुसलमान अल्लाह का निशान मानते हैं. सबसे छोटी आयत है वद्दोहा और सबसे बड़ी सूर ए बक़रा में हैं. जहाँ तक कलमा का सवाल है उसका मतलब है अर्थपूर्ण शब्द. पूरे क़ुरआन में कलमे मौजूद हैं जो किसी न किसी संदेश को, अर्थ या दिशा निर्देश को हम तक पहुंचाते हैं. जहां तक उन छह कलमों का सवाल है जिन्हें मुसलमान बराबर पढ़ते हैं वो क़ुरआन का हिस्सा तो नहीं हैं लेकिन क़ुरआन और इस्लाम की मूल भावनाओं की अभिव्यक्ति हैं और मूल संदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं.

दुनिया की सबसे तीखी मिर्च कहां होती है. ये सवाल किया है इंदौर से नवनीश मिश्रा ने.
दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है नागा जोलोकिया. ये पूर्वोत्तर भारत के असम, नागालैंड और मणिपुर राज्यों और श्रीलंका और बांगलादेश में होती है. इसे कई नामों से जाना जाता है. असम में इसे बीह जोलोकिया कहते हैं और मणिपुर में ऊ मोरोक. ये ढाई से सवा तीन इंच लंबी और एक से सवा इंच मोटी होती है. इसका रंग नारंगी या लाल होता है. ये इतनी तीखी होती है कि इसका एक बीज खाने के बाद 30 मिनट तक मुंह में जलन बनी रहती है.

नेपाल और भारत के बीच सुगौली संधि क्या है. क्या ये भारत ने ज़बरदस्ती कराई थी और क्या इसे रद्द किया जा सकता है. नौर्थ आरलिंगटन अमरीका से रंजीत अधिकारी.

सुगौली संधि 2 दिसंबर 1815 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच हुई थी. इससे ब्रिटेन के दूसरे हमले का अंत हुआ. इसके अधीन नेपाल ने कुछ क्षेत्रीय रिआयतें दीं, काठमांडू में ब्रिटेन के एक प्रतिनिधि को रहने की अनुमति दी और ब्रिटिश सेना में गुरखा लड़ाकों को भर्ती करने पर सहमति हुई. इस संधि से नेपाल को अपनी एक तिहाई क्षेत्र से हाथ धोना पडा जिसमें सिक्किम, काली नदी के उस पार का कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र और सतलज नदी के पश्चिम में पड़ने वाला कांगड़ा क्षेत्र जो अब हिमाचल प्रदेश में आता है और अधिकांश तराई क्षेत्र. बाद में तराई का कुछ इलाक़ा ब्रिटन ने नेपाल को लौटा दिया. सन 1950 में भारत और नेपाल के बीच एक अलग संधि हुई.

बीबीसी के सौजन्य से


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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

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