Skip to main content

साइंस का चमत्कार, सिर्फ सोचिए और आपका काम हो जाएगा

विनय बिहारी सिंह

आस्ट्रियन मेडिकल इंजीनियरिंग कंपनी जी.टेक ने - ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) टेक्नालाजी विकसित कर ली है। आप पूछेंगे यह होता क्या है? आइए जानें- वह कंप्यूटर जो आपके सोचने भर से ही आपके घर की बत्ती जला देगा, टीवी आन कर देगा, नल खोल देगा और इसी तरह के हजार काम कर देगा। यह कैसे संभव है? दरअसल शुरू में आपकी खोपड़ी से सटा कर एक इलेक्ट्रोड फिट कर दिया जाता है। उसे इस कंप्यूटर से जोड़ दिया जाता है। जब यह इलेक्ट्रोड आपकी चिंतन पद्धति को समझ लेगा और इसे कंप्यूटर में फीड कर देगा तो उसका काम खत्म हो जाएगा। आपकी खोपड़ी से वह इलेक्ट्रोड हटा दिया जाएगा। बिना उसके भी आपका कंप्यूटर अब आपकी सोच पकड़ लेगा। मान लीजिए आपने सोचा कि आपके कमरे की बत्ती जले। बस, सोचते ही बत्ती जल जाएगी। इस कंप्यूटर में इलेक्ट्रोइंसेफेलोग्राम (ईईजी) उपकरण फिट होता है। वही आपकी सोच पकड़ कर कार्यान्वित करता है। यह उपकरण शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के काम आएगा और वे अब अक्षम होने के दुख से उबर जाएंगे। उनका किसी पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। इस तकनीक का प्रदर्शन, जी.टेक ने मार्च में ही हनोवर में कर दिया था। और सिर्फ विकलांगों के ही नहीं, अत्यंत बूढ़े लोगों के भी काम आएगा यह उपकरण। हमारे ऋषि- मुनियों ने पहले ही यह काम कर दिया था। आखिर ऋषि वशिष्ठ ने ही लव की शक्ल वाले कुश को बना ही दिया था। वह भी सोच कर ही। ऋषियों के ऐसे चमत्कारों से हमारे धर्म ग्रंथ भरे पड़े हैं। हनुमान जी ने सूर्य को फल समझ कर लील लिया। लेकिन इसके पहले उन्होंने सूर्य को खाने की सोचा और उनका काम हो गया। हालांकि जब वे बड़े हुए तो अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के स्वामी हो गए। क्योंकि उन्हें जानकी माता यानी मां सीता ने वरदान दिया था।

Comments

  1. विनय जी बहुत ही अच्छी जानकारी.....
    लगातार सहयोग के लिए शुक्रिया..और आगे भी इसी तरह के सहयोग की आशा के साथ
    संजय सेन सागर

    ReplyDelete
  2. विनय जी बहुत ही अच्छी जानकारी.....
    लगातार सहयोग के लिए शुक्रिया..और आगे भी इसी तरह के सहयोग की आशा के साथ
    संजय सेन सागर

    ReplyDelete
  3. achchi jankari di hai..........aisa ho jaye to kya baat hai.

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा