Skip to main content

इनकी मदद कीजिये...!!!

मैंने भड़ास ब्लॉग पर इसको पढ़ा तो सोचा की मैं भी इनकी मदद कर दूँ और इनकी बात ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुचाने की कोशिश करू इसीलिए मैं यह पोस्ट लिखा रहा हूँ, जो लोग इनकी मदद कर सकते हैं तो कृपया करके इनकी मदद करे.....


ब्लागर बंधुओं से एक अपील!!




अंकित माथुर:



ब्लाग के सभी सदस्यों से सहायता हेतु एक अपील

आदरणीय यशवंत भाई, एवं समस्त ब्लाग सदस्य गण। आप सभी से एक अपील है, मेरे परिचय में एक परिवार के साथ दुर्भाग्यवश एक अप्रत्याशित घटना घटित हो गई है। मामला कुछ यूं है। मेरे परिचित और उनके परिवार के कुछ सदस्य दिनांक ६ मई २००९ को मरुधर एक्स्प्रेस में एस ७ कोच संख्या में यात्रा कर रहे थे। अचानक ट्रेन टूंडला स्टेशन के आउटर पर कुछ समय के लिए रुकी व मेरे परिचित परिवार की पुत्र वधू श्रीमति कोमल तोतलानी परिवार के सदस्यों को बताकर टायलेट गईं। इसी दौरान ट्रेन चल दी, टूंडला के बाद २०-२५ मिनट तक भी जब वे वापस नहीं आईं तो परिवारीजनों द्वारा इनकी खोज की गई, पूरी ट्रेन में इन्हे खोजा गया लेकिन इनका कोई पता नहीं चल पाया । आगे पढे.....

Comments

  1. काशिफ जी इस मुद्दे पर हम सभी को जानकारी हो चुकी है बहुत बहुत शुक्रिया हम साथ मे है

    ReplyDelete
  2. काशिफ जी इस मुद्दे पर हम सभी को जानकारी हो चुकी है बहुत बहुत शुक्रिया हम साथ मे है

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा