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एक्ज़िट पोल या अपना भविष्य जानने की भुख....!!!

मै चुनाव होने के बाद से तबियत खराब होने की वजह से लिख नही रहा था, इस बीच हमेशा की तरह सब लोगो ने अपने - अपने पोल कराये....जिन्हे एक्ज़िट पोल कह्तॆ है ! कोई कह रहा था की युपीए को १९० सीट मिलेगी, कोई २०० बता रहा था, कोई २१० कह रहा था, कौग्रेस का पोल भी २२० कह रहा था, एनडीए का पोल कुछ कह रहा था, हर किसी को अपनी पडी थी, सबकॊ अपना भविष्य जानना था लेकिन क्या हुआ? कुल मिला कर जितने भी पोल हुए थे सब गलत गये हमेशा की तरह बिल्कुल वैसे ही जैसे मौसम की भविष्यवाणी गलत होती है ! वो भी रोज़ अनुमान लगाते है और होता है उसका उलटा. जिस दिन कहेंगे उसी दिन बारिश नहीं होगी......

अरे यार आदमी के दिमाग क्या भरोसा मै ऐसे बहुत से लोगो को जानता हूं जिन्होने घर से बूथ तक जाने मे अपना वोट किसी और को दे दिया, घर से कुछ और सोच के चले थे और वहां जाकर किसी और को वोट दे दिया....आगे पढ़ें.....

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा