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बच्चों पर भारी कश की लत


भोपाल. सिगरेट के कश लेने में अब बच्चे भी पीछे नहीं हैं। 80 फीसदी बच्चे 18 साल की उम्र पूरी होने के पहले सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में सिगरेट पीने की प्रवृत्ति उनके अभिभावकों की आदतों से पनपती है।
मनोचिकित्सकों के मुताबिक जिन बच्चों के परिवार में खुलेआम सिगरेट पीने, तंबाकू खाने का चलन है उन परिवारों के बच्चों के दिमाग का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता। इसके चलते बच्चे अपने अभिभावकों की प्रत्येक अच्छी और बुरी आदत जल्द ही अपना लेते हैं। अभिभावकों की यही स्मोकिंग की आदत बच्चे को सिगरेट पीना सिखा देती है।
शहर में पहचाने गए कैंसर रोगियों में कम उम्र में सिगरेट का नशा करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। डॉक्टरों के अनुसार कम उम्र में सिगरेट, तंबाकू का शौक करने वाले बच्चों को मुंह का कैंसर, गले का कैंसर जल्दी हो जाता है।

पापा का घर में सिगरेट पीना लगता है बुरा
शक्ति नगर निवासी मुकेश श्रीवास्तव के 14 वर्षीय पुत्र आयुष को पापा का घर में सिगरेट पीना बुरा लगता है। आयुष ने बताया कि पापा जब भी सिगरेट पीते हैं तो मैं उनसे नाराज हो जाता हूं। शिकायत करने पर पापा छुपकर सिगरेट पीने लगे हैं।

रोल मॉडल है, पर सिगरेट से तौबा
मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एमटेक के छात्र शरद कुमार, अभिनेता नाना पाटेकर को अपना रोल मॉडल मानते हैं। शरद ने बताया कि रोल मॉडल होने के बाद भी मुझे उनका सिगरेट पीना गलत लगता है। अभिनेताओं को फिल्मों में इस प्रकार के रोल नहीं करना चाहिए।

पीना नहीं सीखा
भोपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बीई फाइनल के छात्र बृजेश गुप्ता को शूटआउट लोखंडवाला में माया की भूमिका में दिखे विवेक ओबेराय पंसद हैं। फिल्म में विवेक के कई स्मोकिंग दृश्य हैं। बृजेश का कहना है कि फिल्म देखकर बहुत कुछ सीखा, लेकिन सिगरेट पीना नहीं।

नशीले पदार्र्थो दृश्यों पर चले कैंची
मेडिकल प्रोफेशनल राहुल श्रीवास्तव को अमिताभ बच्चन की फिल्में पसंद हैं, लेकिन उनकी फिल्मों में सिगरेट पीने के सीन खराब लगते हैं। राहुल का कहना है कि फिल्मों के सीन बच्चों के दिमाग पर सीधे असर डालते हैं और वह स्मोकिंग सीखते हैं। इसलिए ऐसे दृश्यों पर कैंची चलनी चाहिए।

सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. सच कहा आजकल बचपन नशे के नीचे ही दबकर रह गया है
    चिंता का विषय है

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  2. सच कहा आजकल बचपन नशे के नीचे ही दबकर रह गया है
    चिंता का विषय है

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  3. गंभीर बात है और युवा पीड़ी को भी समझना होगा
    की फिल्में बस एक दिखावा है

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  4. जी इसीलिए तो कुछ कठोर कदम उठाने जरूरी है ...धुम्रपान को विलासिता की तरह दिखाना बंद करना होगा...! कोई भी सिगरेट पीने वालों को अपना आदर्श ना बनाये इसके लिए खिलाडियों और सितारों का सहारा लेना चाहिए...

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--- संजय सेन सागर

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