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सपा को दहकाते रामपुर के शोले

विवेक अवस्थी
समाजवादीपार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की परेशानियां उनकी बौखलाहट में तब्दील हो गई हैं। शायद चुनावों में नतीजों का पूर्वानुमान उन्हें अभी से सता रहा है। पिछली बार 39 सांसदों को लोकसभा भेजने वाली समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष का आत्मविश्वास लगता है काफी डगमगा गया है। नेताजी परेशान हैं लेकिन आज से नहीं चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई तभी से। वह सबसे पहले बरसे मैनपुरी के जिलाधिकारी मिनिस्टी दिलीप पर। आरोप लगाया कि प्रशासन की मिलीभगत से राज्य सरकार उनके कार्यकर्ताओं को सता रही है। और क्योंकि जिलाधिकारी महिला हैं इसलिए वो उन्हें माफ कर रहे हैं। वोटिंग के दिन मुलायम का गुस्सा फिर सातवें आसमान पर था। वो भिड़ गए ओवजर्वर निलय नीतेश से। इस बार मुद्दा था राशन कार्ड। ओब्जर्वर का कहना था कि राशन कार्ड फर्जी है जबकि मुलायम का कहना था कि राशन कार्ड असली है क्योंकि इस पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर हैं। ... आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा