मैंने जैसे हीं अपने ब्लॉग को एक सार्वजनिक स्वरुप दिया , मेरे अन्य मित्रवत व्यवहार करने वालो ने मेरे नक्से कदम पे चलते हुए , वही किया जो मैंने ! परन्तु मेरी और उंगली उठाने से बाज़ नही आए। उनका मानना है कि मैं अपने उद्देश्य को तो कुछ और बता रखा है , और ब्लॉग पर छप कुछ और रहा । मैं पूछता हूँ की अपनी शादी की सी डी बना कर , स्वयं को मुख्य किरदार निभाते हुए देखना , बहुत सुखदायक तो नही , पर अच्छा अवश्य लगता है। स्वयं को नायक की तरह , कैमरे के फोकस में देखना एक पल के लिए सुभाष घई की याद तो दिला हीं देता है।। अ़ब आपने गाँव में होली गाते तो देखा हीं होगा .... एक व्यक्ति पंक्तिओं को गाता हैं और पीछे -पीछे सब उसी को ढोलक और झाल की थाप पर दुहराते हैं। कोई मतभेद नही होता , कोई अलग सुर में नही गाता ..सब एक की सुनते हैं और गाते हैं ।मेरे (उस मित्र )मित्रों ने अपने ब्लॉग का उद्देश्य तो अवश्य बताया , पर उसका अर्थ ख़ुद नही समझ पाए ... उनके शब्दों में"दरअसल हमारा उद्देश्य है " भारतवर्ष में समसामयिक राजनैतिक और सामाजिक मुद्दों पर सही वैचारिक दृष्टिकोण , जिसे हम भारतीय नजरिया भी कहते हैं , प्रस्तुत करना । "तो वो सिर्फ़ नज़रिया ही प्रस्तुत करेंगे । सिर्फ़ बातें हीं होंगी , जो गत साठ सालों से होती आ रही ही। हम किसी चर्चा के हिमायती नहं है । हम मनसा ,वाचा से ऊपर उठकर कर्मणा की बात कर रहे हैं । और कर्मणा को मै किसी भी कठमुल्लेपन से नही बंधना चाहता । बाज़ार के खिलाफ इस निर्णायक लडाई में हम कृष्ण के सामान , किसी भी हठधर्मिता से बचते हुए शस्त्र प्रयोग से बाज़ नही आएंगे । और जब आवश्यकता पड़ेगी तो बाज़ार के औजारों को उसी के खिलाफ इस्तेमाल करने से भी नही हिचकेंगे। मैं किसी हीरोइज़्म इन नेशनलिज़्म का प्रखर विरोधी हूँ । उम्मीद ही की मेरे मित्र और आप सभी , इस बात को समझ गयें होंगे । साम , दान , दंड , भेद ... और सभी की क्षमताओं का यथास्थान सदुपुयोग करके हीं , नए महाभारत का निर्माण हो सकता ही ।हमें पता होना चाहिए की युधिष्ठिर को झूठ कहाँ बोलना है ?
जय हिंद । जय स्वराज
जय हिंद । जय स्वराज
जी,किसी को भी आपके ब्लॉग पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए..यदि हो तो अपनी बात रखें....!केवल विरोध के लिए शोर ना करें..
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