आज कल जहाँ देखो संघ के खिलाफ खूब जहर उगला जा रहा है । नई पीढी के समक्ष संघ को फासीवादी और नाजीवादी सोच का बताया जा रहा है । हो सकता है कि यहाँ मुझे भी कुछ लोग इसी सोच का बताएं ! मुझे इस बात का डर नही ,मैं आजतक संघ की शाखाओ में नही गया फ़िर भी संघ के सेवा और सांस्कृतिक कार्यों को पसंद करता हूँ । वैसे यहाँ कुछ भी मैंने अपनी ओर से कुछ नही कहा है । " हिंदुस्तान के दर्द " को बाँटने के भागीदार कुछ चिंतकों की पोस्ट पढ़-पढ़ कर ऐसा महसूस होता है उन्हें समाज को बाँटने में ज्यादा मज़ा आता है । एक विवादित ढांचे और गुजरात दंगों का आरोप संघ परिवार पर लगा कर उसको सांप्रदायिक होने का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है । वही बुद्धिजीवी और मीडिया संघ के हजारों समाजसेवा के कार्य को नजरंदाज करती रही है । संघ के सम्बन्ध में सदी के सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष नेता और हमारे बापू "महात्मा गाँधी जी " जिनकी हत्या का आरोप भी संघ पर लगा था , ने १६- ०९- १९४७ में भंगी कोलोनी दिल्ली में कहा था -" कुछ वर्ष पूर्व ,जब संघ के संस्थापक जीवित थे , आपके शिविर में गया था आपके अनुशासन , अस्पृश्यता का अभाव और कठोर , सादगीपूर्ण जीवन देखकर काफी प्रभावित हुआ । सेवा और स्वार्थ त्याग के उच्च आदर्श से प्रेरित कोई भी संगठन दिन-प्रतिदिन अधिक शक्ति वान हुए बिना नही रहेगा । "
बाबा साहब अम्बेडकर ने मई १९३९ में पुणे के संघ शिविर में कहा था - "अपने पास के स्वयं -सेवकों की जाति को जानने की उत्सुकता तक नही रखकर , परिपूर्ण समानता और भ्रातृत्व के साथ यहाँ व्यवहार करने वाले स्वयंसेवकों कोदेख कर मुझे आश्चर्य होता है । "
संघ के सन्दर्भ में एक अन्य घटना की जानकारी मुझे मिली थी जब मैं भी बगैर सोचे-विचारे संघियों को कट्टरपंथी बोला करता था । उस घटना का जिक्र आप के समक्ष कर रहा हूँ - ' सन १९६२ में चीन ने हिन्दी-चीनी भाई के नारे को ठेंगा दिखाते हुए भारत पर हमला कर दिया । भारत को अब किसी युद्ध में जाने की जरुरत नही है सेना का कम तो बस परेड में भाग लेना भर है की नेहरूवादी सोच के कारण सेना लडाई के लिए तैयार नही थी । तब तुंरत ही स्वयंसेवक मैदान में कूद गए । सेना के जवानों के लिए जी जन से समर्थन जुटाया वहीँ भारतीय मजदूर संघ ( ये भी संघ का प्रकल्प है) ने कम्युनिस्ट यूनियनों के एक बड़े वार्ग्ग की रक्षा उत्पादन बंद करने की देशद्रोही साजिश को समाप्त किया । तब प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू संघ के कार्य से इतने प्रभावित हुए की कांग्रेसी विरोध को दरकिनार करते हुए २६ जनवरी १९६३ की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया ।"
अन्य दो -तीन उल्लेखनीय सेवा कार्य जो मेरी स्मृति में है - *१९७९ के अगस्त माह में गुजरात के मच्छु बाँध टूटने से आई बाढ़ से मौरवी जलमग्न हो गया था । संघ के सेवा शिविर में ४००० मुसलमानों ने रोजे रखे थे । अटल जी जब वहां गए थे तो मुसलमानों ने कहा था -'अगर संघ नही होता तो हम जिन्दा नही बचते । '
*१२ नवम्बर १९९६ चर्खादादरी , दो मुस्लिम देशों के यात्री विमानों का टकराना , ३१२ की मौत जिसमे अधिकांश मुस्लिम और भिवानी के स्वयंसेवकों का तुंरत घटना स्थल पर पहुंचना , मलवे से शव निकलना सारी सहायता उपलब्ध करना । इतना ही नही शवों के उचित रीति रिवाज से उनके धर्मानुसार अन्तिम संस्कार का इन्तेजाम करना । तब साउदी अरेबिया के एक समाचारपत्र 'अलरियद ' ने आर एस एस लिखा था- " हमारा भ्रम कि संघ मुस्लिम विरोधी है, दूर हो गया है । "
अभी तक के लिए इतना ही आगे अगले भाग में .....................................................................................
kya tukkre tukkkre dhoond ke safai de rahe hoo
ReplyDelete2-3 paibandh lagane se sachayi badal nahinn jayegi
sangh to naji soch ka soochak hai
hindu talibani hai yeh log...........
kisi aur dharam majhab ko dekh hi nahin sakte....
Yes sangh peoples always reach first at any place of accident whether it is manmade or natural calamity
ReplyDeleteRSS workers are really very fast in helping others
i seen this in case of flood in bhiwani and rohtak in 1996
कुछ अच्छे उदहारण दे के लोगो को बरगलाने से ग़लत बात सही नही हो जाती है यह उसी तरीके का तर्क है जिस तरिके से ददुवा से लेकर ठोकिया कोलोग जायज ठहराने का प्रयास करतें है मिलावटखोर,जमाखोर,नकली दवाएं बेचने वाले लोग असली हिंदुवत्व कीपहचान है । जर्मनीमें हिटलर ने भी बहुत सारे लोक लुभावन कार्य किए थे और जैसे ही हिटलर ने सम्पूर्ण राष्ट्र ka ऊपर एकाधिकारकर लिया तो गैस चैंबर नरसंहार आज तक लोग नही भूले है। राष्ट्रवाद का नारा सबसे ज्यादा यही संगठन देता है जिसका कोई भी सम्बन्ध न राष्ट्र से है न राष्ट्र की जनता से है । आचार्य चतुर सेन एक उपन्यास है सोना और खून जिसमे उन्होंने बहुत अच्छी तरीके से राष्ट्रवाद और देश को समझाया है । राष्ट्रवाद ,जाति,भाषा ,धर्म ,क्षेत्रवाद आदि इस संगठन ka प्रमुख हथियार है जिसके माध्यम से यह लोगो की भावनाओ को उकसाकर देश को कमजोर करतें है ।
ReplyDeleteऔर जब कोई बात सही तरीके से आती है चाहे वह इतिहास की समझ करती सवाल हो या देश की एकता या अखंडता करती सवाल हो यह संगठन और इसके लोग सारी भड़ास वामपंथियों के ऊपर निकल देते है यह उसी तरीके से है की शिव का धनुहा किसने तोडा? क्लास के बच्चे मंगरूराम ने तोड़ा ।
suman ji ke lekh se
भाई सियाराम ! कुछ लिखते -पढ़ते भी हो या दूसरो की सुनी सुनाई बातो को आंखमुद कर रट लेते हो ? चलो ख़ुशी इस बात की है की संघ के इन कार्यों को तुमने अच्छा तो माना ! और इस तरह के अच्छाइयों की तो भरमार है संघ में , ये तो पहला भाग है मैं अच्छाई गिनाता हूँ तुम तथ्यपरक बुराइयाँ गिनाओ ! देखते है कौन जीतता है . वैसे ये खेल तालिबानी विचारधारा का परवरिश करने वाली संस्था " देवबंद" के ऊपर भी खेला जा सकता है . अरे धर्मनिरपेक्ष होने का मतलब ही सभी धर्मो को बगैर पक्षपात पूर्ण रवैये के देखना होता है न की भेदभाव से . हम तो गलत को गलत कहते हैं और कहेंगे वो भी तथ्यों के चोट पर . राष्ट्र कवि दिनकर ने कहा था -" जुल्मी को जुल्मी कहने पर जिव जहाँ डरती है पौरुष होता है छार और दम घोंट जवानी मरती है . "
ReplyDeleteoye jayram
ReplyDeletejo kitabe sab parrte hai wo bhi khud ki likhi nahin hoti kisi ne hi likhi hoti
palle parre baat
tumse jayada parra hai tabhi bol raha
kaatilo ka girooh hai sangh parivaar
agar nahin dikhta to aakhon ka operation karwa le
abhe tubelight tum insaan kab bano ge,
bimrau pardesh ke bimar log
tum jaise tangrii kabab khaa kar khabar dena wala patarkar nahin hoo
jayram suna hai kya 900 chuhhe kha kar billi haj ko challi.........
ReplyDeletekabhi kabhi yeh bhi challe jate hai daman saaf karne ko
ab tak ki tippniyon se tumhare bare m achcha andaj ho gaya hai bagair tahtyo ke bakwas karna tumhara pesha hai . kabhi dewband ke bare m bhi kuchh bola hai .
ReplyDeletejahan devband ki baat hoti hai waha bhi bolta hoon
ReplyDeletejahan kya baat aaur kiski baat ho rahi hai????
jiski jaha baat ho rahi uske bare main hi bol raha hooo
sale hitler ki najayaj aulad hai ................
ReplyDeletehahahah gayii bhains pani main hindustani talibano kiii
ReplyDeletekahan hai hai whosanghi tattu jayram aur sanjay sen sahab
kahan hai facist fanatic bhajapa,rss,ram sena ,shiv sena, mns,waleeeeeee
kaha hai pink chaddi ke virodhi.......
kaha hai pub jane walo ke virodhi...........
kahan hai.......
hindu muslim sikh isaayi
sanka dushman hai bhajpa(yi)
kahan hai hume shadam secular kehne wale..........
ReplyDeletekahan hai gym main jane wala majboot pardhan mantri............