Skip to main content

मायावती chalishaa

दोहा: जय जय मायावती जगदम्बे का रूप //लाज राखियो जगत की आए कोई न भूप
चौपाई: जय जय माया महारानी /तुम्हारी लीला न जाय बखानी//
तुम्हारा नाम जपे दलित जन सारा / तुम उनके हो तारण हारा
सब तुम्हारी ही करे बड़ाई / तुम हो उनकी काली माई
तुम गुन्दन का करिव खिचाई / अपराधिन का जेल पठाई
जो दलितन से करे लडाई / उसकी अच्छी करो खिचाई
ऊंच नीच अस गुंडे सारे / तुम उनका कीन्हा पिछवारे
जीतनी रही फौज धन सारा / तुम उनका सब दिन बिगारा
उनकी धुस माती में कीन्हा / उनसे छीन तलब भी लीन्हा
पहले जो थे अत्याचारी / उनकी आय गई बलिहारी
अब वे सब न करे लडाई / सब से करते मेल मिलाई
ऐसे राज्य चले का चाही / फ़िर जनता का चिंता नाही
हमारी एक विनय है माया / हमारे ऊपर कर दो दाया
दियो कही नौकरी दिलायी / तुम्हारे गुन हम जीवन भर gaayi
तुम जनता का karaw bhalayee / sabase rakhou mail मिलाई
तुम्हारी kurshi फ़िर जाय न पाये / सब की jamaanat jabt होई जाए
सदा karav जनता कई sewaa / सब का milay dudh au mewaa
दोहा: जय जय माया वती सदा karaw kalyaaN उत्तर pradesh की जनता का haradam rakhanaa dhyaan:

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा