बहुत दिनों के बाद जूते का महत्व सामने आया। "हम आपके हैं कौन" की माधुरी दीक्षित का गाना 'जूते लो पैसे दो " वाला गाना बहुत हीं भाया था । जूते को देखना अच्छा लगा था । सल्लू मियां की जूतों को लेकर बेचैनी गुदगुदी पैदा कर रही थी ।
इससे पहले जूता मेरी ज़िन्दगी का बहुत हीं बदनाम वस्तु था। खेलने के नाम पर भइया अक्सर अपना जूता मुझपर साफ़ किया करते थे । कुछ पश्चीम के विद्वानों ने भी जूते का महिमागान बड़ी हीं तन्मयता से किया है। किसी ने कहा था की व्यक्ति की पहचान उसके जूते से होती है । यह मोची टाइप दृष्टिकोण मुझे बड़ा अच्छा लगा था , और मैंने हरसंभव इसको अपनाया था । पर लोगो ने इसका अर्थ ये भी निकला की मैं बड़ा शर्मीला हूँ , नज़रे जो झुक जाती थी बात करते वक्त ! दोस्तों ने इसका अपना अलग अर्थ लगाया , कहा की भाई बड़ी बुरी निगाह है तेरी ...एक्चुअली मैंने ये फंडा कन्याओं पे भी लगाया था ।
कालांतर में भी वाजिब मांगो पर भी घर के हुक्मरान जूते की बात कर दिया करते थे । गाँव के ज़मींदार द्वारा अक्सर गरीबों को जूते से पिटते देखा करता था, कभी लगान के नाम पर तो कभी ऊँची आवाज़ में बात करने के कारण। जूता खाना जीवन का सबसे अपमानजनक पल था । जूता केवल ताकतवरों का हथिअर हुआ करता था/
आज समय ने करवट बदला , जूता अब निजामों के हाथ में नही है , जूता आब जनता जनार्दन के हाथ का हथिआर बन गया है।
विगत दिनों दुनिया के सबसे बड़े निजाम बुश को जूता खाना पड़ा। दुनिया को अपनी जागीर बताने और समझने की चाहत और आदत के लिए जूता आइना बनकर सामने आया । भारत जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है , वहां भी कथित लोकनायकों पर जूते फेंके गए । जनता ने इस जूता महामंत्र का मर्म समझ लिया है। भारत में सबसे पहला जूता विश्वविख्यात लेखिका अरुंधती रॉय पर मारा गया। आज अडवानी, जिंदल और पी चिदंबरम भी इसके शिकार हुए। बड़ी कीर्किरी हुई है।
नेता बिरादरी जूता -भय के आगे माथा टेक, एक हो गई । तमाम जमात ने आलोचना की । सभी एक स्वर में दिखे, कहा की यह अलोकतांत्रिक , अशोभनीय हरकत है। जिसे किसी भी कोण से जायज़ नही ठहराया जा सकता । मैं भी अपने जूते मार वाली हरकत के लिए गर्व महसूस नही करता हूँ, पर शायद ग्लानी भी नही ।
(....आगे भी जारी ..)
हे बालक जूते के रूप में हम कलुयग में अवतिरित हो चुके हैं हमारा नाम है जूताराम. हमारी महिमा तुम्हें नहीं दिखाई दे रही सब हें हें माफ करो कहकर महान बनने में लगे हुए हैं. अभी तो हम उछल रहे हैं आगे और भी संज़ीदा कार्यक्रम होने वाले हैं.मतलब लोग भिगा के भी इस्तेमाल करने वाले हैं. जूतों मे दाल आस्क्रीम सब बटेगी.
ReplyDeleteइब्तिदा ए इश्क है रोता है क्या.
आगे आगे देखिए होता है क्या.
आगे बढ़ बालक जूते का बह्मास्त्र के रूप में प्रयोग कर उसकी महिमा अनंत है हरिकथा की तरह क्योंकि जूता ही अब हरि का काम करेगा.
आप का जुता लेख पड़ा अच्चा लगा जूता और जीवन की के कद्दियो का
ReplyDeleteको खोल कर रख दिया ...... काफी कुछ है इस जुते में
सच कहे जुते में है दम
plc come on manch and say your views .........
Hey subhash, kalyug ke trasta, desh hamein pukarraha hai, bharti chitkar uthi hai, jute ke rop me apka awtar bahupratikshit tha... main apke dashan matra se hin, dhanya ho gaya.. mera janm safal ho gaya..
ReplyDeletemere purane jooton ke raaj gunguna uthe..
na jane kis ke sar par..mera pranam ho jaye..
jai ho juta.. jai ho..