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काम और दर्द का रिश्ता

अगर आप पीठ के भीषण दर्द से गुजर रहे हैं और हर रोज घर लौटने पर अपने जीवनसाथी से दर्द निवारक मरहम लगाने को कहते हैं, तो किसी आथरेपेडिक डॉक्टर के पास जाने से पहले स्वयं जांच कर लें कि क्या आप अपने कार्यस्थल से खुश और संतुष्ट हैं?
यही नहीं, इस संदर्भ में बैठने के लिहाज से असुविधाजनक कुर्सी देने के लिए अपने ऑफिस मैनेजर को दोष देने की जरूरत भी नहीं है। यद्यपि पीठ दर्द की यह एक प्रमुख वजह हो सकती है, लेकिन क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी का नया शोध इस क्रम में कुछ अचंभित करने वाली बातों पर प्रकाश डालता है।
इसके मुताबिक आपसे कुछ ज्यादा की मांग रखने वाले, किंतु कम नियंत्रण वाले कार्यालय में या असहयोगी रवैया अपनाने वाले प्रबंधन के साथ काम करने वाले कर्मचारी ‘बायोसाइकोसोशल’ कारण के चलते पीठ दर्द के अधिक शिकार होते हैं।
बायोसाइकोसोशल मॉडल के तहत जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों के आधार पर बीमारी की पहचान की जाती है। इस शोध को अंजाम देने वाले निक पेनी के मुताबिक अब उक्त मॉडल को मानव स्वास्थ्य, उसमें भी खासतौर पर दर्द के क्रम में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस शोध से पता चलता है कि कर्मचारियों को होने वाले पीठ दर्द का रिश्ता मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों से अधिक है, वनिस्पत जैविक कारणों के। खराब माहौल वाले कार्यालय में काम करने वाले लोगों को पीठ दर्द से छुटकारा पाने में अधिक समय लगता है। इसके विपरीत जिन कर्मचारियों के कार्यालयों का माहौल तनाव और दबाव रहित होता है, वे इससे जल्द छुटकारा पाते हैं।
दर्द और उसके कारणों पर कम जानकारी रखने के कारण इस शोध से मैं यह समझ पाया हूं कि अगर कर्मचारी हर रोज ‘आज तो फिर ऑफिस जाना पड़ेगा’ वाला जुमला इस्तेमाल करता है, तो इसके लिए कहीं न कहीं खराब प्रबंधन भी दोषी है। इस क्रम में प्रबंधन को कार्यालय में सहयोगात्मक माहौल रचना चाहिए।
फंडा यह है कि हमें कर्मचारियों को अच्छे से अच्छा माहौल देना चाहिए। इसके बदले में कर्मचारियों को एक श्रेष्ठ कार्य संस्कृति भी कंपनी को देनी होगी।
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