पान पन्हैया की रही, भारत में पहचान.
पान बन गया लबों की, युगों-युगों से शान.
रही पन्हैया शेष थी, पग तज आयी हाथ.
'सलिल' मिसाइल बन चली, छूने सीधे माथ.
जब-जब भारत भूमि में होंगें आम चुनाव.
तब-तब बढ़ जायेंगे अब जूतों के भाव.
- आचार्य संजीव 'सलिल' सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
पान बन गया लबों की, युगों-युगों से शान.
रही पन्हैया शेष थी, पग तज आयी हाथ.
'सलिल' मिसाइल बन चली, छूने सीधे माथ.
जब-जब भारत भूमि में होंगें आम चुनाव.
तब-तब बढ़ जायेंगे अब जूतों के भाव.
- आचार्य संजीव 'सलिल' सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
नमस्ते,
ReplyDeleteयह पोस्ट आपसे सम्बन्धित है इस लिये भेज रहा हूँ
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