Skip to main content

जिंदल पर चला जूता


नेताओं पर जूता फेंकने की घटना में इजाफा होता जा रहा है पत्रकार जरनैल सिंह  द्वारा  गृहमंत्री पी चिदंबरम  पर जूता  फेकने के बाद अब कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल को भी एक फ्लाईंग जूते का सामना करना पडा.आज कुरुक्षेत्र में एक चुनावी रैली के दौरान एक रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल ने नवीन जिंदल को निशाना लगाकर जूता फेंका।
  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक  कांग्रेसी नेताओं, उनके वादों और कांग्रेस की नीतियों से नाराज होकर  रिटायर्ड प्रिंसिपल राजपाल ने  नाराजगी जताते हुए कुरुक्षेत्र से कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल पर भरी चुनावी सभा के दौरान उनपर जूता फेंका, लेकिन निशाना चूक गया और जूता नवीन जिंदल को नहीं लगा.हालांकि कांग्रेस का दावा है कि वह शराब के नशे में थे और इस घटना के पीछे विरोधियों का हाथ है। फिलहाल राजपाल को पुलिस ने हिरासत में  लिया ओए पुछ्ताछ के बाद छोड़ दिया 
 
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. कोई बात नहीं..बुरा मत मानो...कईयों ने खाए हैं और कईयों की बारी अभी आनी बाकी है.

    ReplyDelete
  2. अच्छा लिखा है
    बढ़िया लेखन

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा