आज जनसत्ता में संपादक के नाम रमेश कुमार दुबे का पत्र :-
अपूर्वानंद का एक आलेख " शुभ संकेत नहीं "१५ अप्रैल की जनसत्ता में पढ़ा । वचन भंग के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा कठोर दंड न देने की केवल और केवल एक घटना( बाबरी मस्जिद विध्वंस पर कल्याण सिंह को कठोर सजा न देना ) का जिक्र किया गया है । कावेरी के पानी बटवारे को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेशों की धज्जियाँ उडाने वाली राज्य सरकारों के निर्णय क्या भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत हैं ? लेखक सलवा-जुडूम और विनायक सेन को लेकर चिंतित हैं लेकिन नक्सलियों के हाथों मारे जाने वाले परिवारों के प्रति कोई संवेदना प्रकट नही करते ? केन्द्रीय पुलिस बल में तैनात मेरे एक सहपाठी को नक्सलियों ने मौत के घाट उतर दिया । अब उसकी विधवा और मासूम बच्ची का क्या होगा ? ऐसी हजारों नक्सल पीड़ित बेबाओं और मजलूमों के बारे में लेखक ने कभी दो शब्द भी लिखे हों मुझे याद नही आता । लेखक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा अवयस्क मुस्लिम छात्र के दाढ़ी रखने और तालिबानीकरण के बीच रिश्ते खोजने का तो उल्लेख करते हैं , लेकिन इस मुद्दे को नही उठाते कि बारहवीं तक सामान शिक्षा एक सामान हो । वे इस पर भी नही बोलते कि ग्यारहवीं के छात्र के दाढ़ी रखने का क्या तुक है? धर्मनिरपेक्षता केवल वरुण गाँधी की टिप्पणी , गुजरात दंगों और विनायक सेन तक सीमित नही है ।
अरे भाई ! ये क्या लिख दिया ! ऐसे तो तू भी हिन्दू कटटर पंथी कहलायेगा ! क्या इस चक्कर में पड़ा है अच्छी बातें पोस्ट कर तो किसी सेकुलर चैनल में कम-धंधा पा लेगा !
ReplyDeleteअरे भाई ! ये क्या लिख दिया ! ऐसे तो तू भी हिन्दू कटटर पंथी कहलायेगा ! क्या इस चक्कर में पड़ा है अच्छी बातें पोस्ट कर तो किसी सेकुलर चैनल में कम-धंधा पा लेगा !
ReplyDeleteतो क्या वरुण गाँधी ने जो कहा उससे सहमत हो ? मैं तो नहीं पर आपकी बातों में भी दम है
ReplyDeleteअब तक सुनते आए हैं" भाजपा एक साम्प्रदायिक दल है " । बार-बार बाबरी मस्जिद विध्वंस और गोधरा का राग का गायन सभी तथाकथित सेकुलर दल करते रहते हैं । चुनाव प्रचार चरम पर है । लालू , पासवान , मुलायम , सोनिया , राहुल , समेत वामपंथी नेता भी सेकुलर बयान दे रहे हैं । मुस्लिम वोट बैंक के खातिर ये सेकुलर आपस में भी भिड जाते हैं । आज ही लालू ने कहा " - बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कांग्रेस भी दोषी " । चलिए मान लिया कि भाजपा के पास साम्प्रदायिकता ही एक मुद्दा है । पर हर कोई तो उसी साम्प्रदायिकता कीआग पर अपना -अपना वोट बैंक गरम कर रहे हैं ।अगर भाजपा हिंदू वोट बैंक ( जो कभी एक साथ नही होते , क्योंकि हमें तो छद्म सेकुलर होने का शौक चढा है ) की राजनीति करती है तो और सारे दल मुस्लिम वोट बैंक( जो एक मुस्त बगैर सोचे -समझे भावना में बह कर मतदान करते हैं) की राजनीति करते हैं । ज्यादा बताने की जरुरत नही है किये छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं कीअसलियत क्या है ? धर्म को अफीम बताने वाले वामपंथियों के लिए केवल धर्म अछूत है बाकीसब चलता है । केरल में कट्टरपंथी अब्दुल नासिर मदनी से मिलकर चुनाव लड़ने की ख़बर अभी कुछ दिन पहले ही जनसत्ता ने प्रकाशित की थी । प्रश्न है कि बार-बार राम-जन्मभूमि के मुद्दे को उठाकर मुस्लिमो की भावना भड़काना कहाँ तक उचित है ? अगर वाकई लालू जैसे सेकुलरों को मुसलमानों की चिंता है तो मन्दिर-मस्जिद से हटकर उनके शिक्षा - स्वस्थ्य - रोजगार की बात क्यूँ नही करते ? कुल मिला कर मुद्दे की बात यह है कि सांप्रदायिक भाजपा कुछ करती है तो समझ में आता है लेकिन इन सेकुलरों के कारनामे जनता तक पहुँचने चाहिए ।
ReplyDeleteयहाँ बात किसी को दबाने या किसी ग़लत साबित करने की नही है बल्कि उन लोगो की पोल खोलने की है जो बार-बार मुसलमानों को वोट बैंक मान कर बेवकूफ बनाते हैं । उन्हें हमसे अलग रखने की कोशिश करते हैं .............. इतिहास में क्या हुआ ये सबको पता है की कैसे इस्लाम भारत में पनपा लेकिन हम सदिओं तक वो सब भूल कर अच्छे से साथ रहते आए ............ क्या बाबरी मस्जिद जैसी घटना और गुजरात जैसे दंगे नही हुए ? फ़िर बार -बार उस घाव को क्यूँ कुरेदा जाता है ? क्यूँ ये सब भूल कर सच्चे सेकुलर होने की बात साबित नही कर पाते ये वामपंथी और बाकि के छद्म सेकुलर लोग ? प्रश्न तो अनेक हैं पर जवाब ढूँढना कोई नही चाहता . माहौल ही ऐसा बन गया है की अगर आप इन सवालों में उलझे तो आपको सीधे हिन्दुत्वादी घोषित कर दिया जाता है । मनो हिंदुत्व कोई अपराध हो । अगर मुझे कोई ऐसा कहता है तो मुझे गर्व होगा । बेनामी भाई आपको चिंता की जरुरत नही है ,,,,,,,,,,,, मुझे शायद कभी भी इन लोगो के समक्ष झुकने की नौबत नही आएगी !
ReplyDeletemain jayram ji se सहमत hun..kewal hinduon ko gaali dena hi dharam nirpekshta nahin hai......!क्या गुजरात से पहले कहीं दंगे नहीं हुए?आखिर कोंग्रेस को हमेशा पाकसाफ और बाकी को दोषी मानना कहाँ की धरम निरपेक्षता है?आज़ादी के दिन से ही एक परिवार देश पर कब्ज़ा करे क्यूँ बैठा है?क्या कांग्रेस में या देश में नेताओं की इतनी कमी हो गई है?
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