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बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
कमी कैधंधा छूट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर .महफ़िल माँ रंग जमायदेहे॥
बड़े बड़े रंग्बाजन कानाकन चना चबवाय देहे॥
थोडी से गलती हंसी होइगे जो लालच म हम आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक करत रहे नौकरी घर भर का मौज कराय देहे।
बाबू का गया कराय देहे बीबी का गहना बनवाय देहे॥
अपने दादा कै अर्थी हम संगम म तेरे आवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर पैसा खूब कमाए हे।
अम्मा बाबु का अपने गंगा म दुबकी लगवाए हे॥
पता नही ई करम फ़ुट की कंगाली आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥

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ग़ज़ल

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