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मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

लिखते लिखते थक गए हाथ ,
गुजरा दिन गुजरी रात ,
कुछ लिखने की बात
पर न बने हालत ,
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,


जज्बात बह रहे थे
पर कैसे बदले हालत सब मौन थे
फिर मेरे भाई
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,


तुम लिखोगे तो क्या होगा
जब अच्छे अछ्के बिक गए
जब कलम भी घिस गयी
और न बदले हालत
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,


आप परेशां न हो
टेंसन न ले
क्यकी आने वाला कल
कर देगा बरबाद
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

मैं बोलूँगा बिस घोलूँगा
बदलूँगा हालत
कल आज और कल
अपनी ताक़त के साथ
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

ये बिस कुछ नया कर दिखायेगा
बदलेगी कल की सूरत
और बदलेगा इतिहास
पर कैसे बदले हालत
केवल और केवल जाने
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

"अम्बरीष मिश्रा" अब आपके साथ
"अम्बरीष मिश्रा" अब आपके साथ


सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा