जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
छुप-छुप देखू खिड़की से शायद आते होगे।
मोबाईल की घंटी बजाते ही समय बताते होगे॥
ऐसी बेदर्दी प्रीत तुम्हारी अब कब आओगे।
बता दो पक्का आना या बहाना बनाओ गे॥
कसम से यार तेरे सपने यूं ही रुलाते है॥
जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
हर तरफ़ चेहरा तुम्हारा बिन दर्पण देखे देखती हूँ।
तेरी तस्वीर लेके यूं ही भेटती हूँ॥
अब बना दिया पागल दीवानी तो पहले से थी।
किया जो प्रेम तुमसे क्या कोई गलती मई की॥
झपटी नही आँखे हमारी सोने को यूं ही तरसाती है।
जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
है पक्का भरोषा जल्द ही पास आओगे।
प्यार का कंगन मेरे हाथो को पिन्हाओ गे॥
गुनगुनाओ गे प्यार का गीत हर खुशिया लूताओ गे॥
बसाओ गे दिल में मुझको कुछ ख़ास बताओ गे॥
रूकते नही आंसू यार सूनी बिंदिया बताती है॥
जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
छुप-छुप देखू खिड़की से शायद आते होगे।
मोबाईल की घंटी बजाते ही समय बताते होगे॥
ऐसी बेदर्दी प्रीत तुम्हारी अब कब आओगे।
बता दो पक्का आना या बहाना बनाओ गे॥
कसम से यार तेरे सपने यूं ही रुलाते है॥
जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
हर तरफ़ चेहरा तुम्हारा बिन दर्पण देखे देखती हूँ।
तेरी तस्वीर लेके यूं ही भेटती हूँ॥
अब बना दिया पागल दीवानी तो पहले से थी।
किया जो प्रेम तुमसे क्या कोई गलती मई की॥
झपटी नही आँखे हमारी सोने को यूं ही तरसाती है।
जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
है पक्का भरोषा जल्द ही पास आओगे।
प्यार का कंगन मेरे हाथो को पिन्हाओ गे॥
गुनगुनाओ गे प्यार का गीत हर खुशिया लूताओ गे॥
बसाओ गे दिल में मुझको कुछ ख़ास बताओ गे॥
रूकते नही आंसू यार सूनी बिंदिया बताती है॥
जब जब आती रेल सजन तेरी याद आती है।
जगाती रात भर मुझको तन्हाई तडपातीहै॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर