यह हैं हरकीरत जी
यह हैं मुनव्वर सुल्ताना
आज ही पता चला की हरकीरत जी की एक कविता 'मोहब्बत का नाम' चोरी हो गयी आश्चर्य हुआ लेकिन एक पल में ही इसमें कुछ नया नजर नहीं आया,क्योंकि चोर मुनव्वर सुल्ताना है यह बात उनके लिए कोई नयी नहीं है!नकली भड़ास खुद यह स्वीकार करता है की प्रसिद्ध लोग और प्रसिद्ध चीज़ों में से दलाली खाने में उन्हें मजा आता है इसकी का नतीजा है ''नकली भड़ास''! तो मैं हरकीरत जी से सिर्फ यह कहना चाहूँगा की आप जायदा परेशान ना हो और अपना काम करें इन्हें उचित दंड दिलाने का प्रयास करें क्योंकि इसी तरह के लोगों पर लगाम कसना हमारा फ़र्ज़ है,अगर आपने आज इन्हें छोड़ दिया तो निश्चित रूप से आप भी गुनाहगार कहलाएंगी !उर्दू का नंबर एक ब्लॉग बनाने का दावा करना आसान है लेकिन उसके लिए चोरी करना कहा तक उचित है,हद तो यह है की नज्म का नाम भी बदल दिया ! जय हो चोर महारानी की.....हम आशा कर सकते है की आप बच्चों को क्या संस्कार देती होंगी!हरकीरत जी आपसे यह कहना भी चाहूँगा की यह कहते है की भड़ास पर आकर बहस कर लीजिये लेकिन आपको वह नहीं जाना है...!! आगे पढ़ें के आगे यहाँ
BAHUT HI GALAT HO RAHA YE TO.....LIKHNA HAI TO APNA KHUD LIKHO...VARNA KYA JARURAT HAI...
ReplyDeleteजय हो मुन्नवर सुल्ताना की जय हो....अभी तक समझा जिसे राहबर अपना.....राहजनी करके चला गया....!!मुन्नवर जी को शायद पता न हो कि साहित्य तो अपने हाथ का लिखा ही अपनी आवाज़ होता है....किसी और का चोरी किया गया नहीं.....आप जैसे किसी और के बच्चे को अपना सगा नहीं कह सकते....उसी तरह साहित्य भी को भी पचा नहीं सकते.....सके सामने थू-थू होना क्या ज्यादा अच्छा है.....??
ReplyDeleteसंजय जी .
ReplyDeleteजी मैं बहुत ही आहात हुई थी इस बात से पर अब जब पता कहता की ये किन लोगों की जमात है तो हम अपने हाथ गंदे क्यों करें...बस इतना ही कहूँगी....
जा सजा ले मेरे आँगन के फूलों से अपना घर
हमें तो तेरे दिए खार रास आ गए .....!!
ऐसा होता है तो अच्छा है सजा मिलनी चाहिए
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