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एक शे'र: इन्तिज़ार - आचार्य संजीव 'सलिल'

मिलन के पल तो कटे बाप के घर बेटी से।

जवां बेवा सी घड़ी इन्तिज़ार की है 'सलिल'॥

-दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
-संजिव्सलिल।ब्लागस्पाट.कॉम

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Comments

  1. waah....bahut khoob.
    badi gahri baat kam shabdon mein kah di.

    kabhi mere blog par bhi padharein.

    vandana-zindagi.blogspot.com

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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