Skip to main content

सबको शिक्षा से आएगा बदलाव

महमूद मदनी
ये देश एक ऐसा देश है कि पूरी दुनिया में इसके जैसा कोई दूसरा आपको नहीं मिलेगा। एक ऐसा देश जहां इतनी सारी भाषाएं, धर्म, जातियां, कल्चर और भी बहुत सारी चीजें हैं। जनरल इलेक्शन से अगले 5 सालों के लिए लोगों की तकदीर का फैसला होगा। और उस 5 साल की सरकार का असर सिर्फ 5 सालों तक ही नहीं होता बल्कि अगर गलत नीतियां हों तो अगले कई सालों तक हमें उसके प्रभावों के बर्दाश्त करना पड़ता है। ये हमारे देश के भविष्य का सवाल है। पिछले 60 सालों में एक ऐसा वातावरण क्रिएट कर दिया गया है कि मुसलमान और हिंदू अलग रहें। हम एक दूसरे की परेशानियां सोचते नहीं हैं, फिक्र नहीं करते और जज्बात से सोचने की कोशिश नहीं करते कि हमारे सामने वाले के क्या इमोशंस हैं। मेरे ख्याल से चुनावों में धर्म, जाति के आधार पर वोटिंग करना सही नहीं है।... आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. महमूद मदनीजी का एक अच्छा लेख आप लोगों के लिए

    ReplyDelete
  2. right.... education is only weapon for changing...

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा