बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
कमाई कैधंधा छूट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर .महफ़िल माँ रंग जमायदेहे॥
बड़े बड़े रंग्बाजन कानाकन चना चबवाय देहे॥
थोडी से गलती हंसी होइगे जो लालच म हम आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक करत रहे नौकरी घर भर का मौज कराय देहे।
बाबू का गया कराय देहे बीबी का गहना बनवाय देहे॥
अपने दादा कै अर्थी हम संगम म तेरे आवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर पैसा खूब कमाए हे।
अम्मा बाबु का अपने गंगा म दुबकी लगवाए हे॥
पता नही ई करम फ़ुट की कंगाली आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब हम jayee हिया हुआ तव साथ सिपाही जात रहें।
हमारे दफ्तर म आवे तो हाथ जोड़ बतियात रहें॥
थोड़े दिन के अन्दर म बेईमानी का फंदा फ़ुट गवा।
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
कमी कैधंधा छूट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर .महफ़िल माँ रंग जमायदेहे॥
बड़े बड़े रंग्बाजन कानाकन चना चबवाय देहे॥
थोडी से गलती हंसी होइगे जो लालच म हम आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक करत रहे नौकरी घर भर का मौज कराय देहे।
बाबू का गया कराय देहे बीबी का गहना बनवाय देहे॥
अपने दादा कै अर्थी हम संगम म तेरे आवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर पैसा खूब कमाए हे।
अम्मा बाबु का अपने गंगा म दुबकी लगवाए हे॥
पता नही ई करम फ़ुट की कंगाली आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
कमाई कैधंधा छूट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर .महफ़िल माँ रंग जमायदेहे॥
बड़े बड़े रंग्बाजन कानाकन चना चबवाय देहे॥
थोडी से गलती हंसी होइगे जो लालच म हम आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक करत रहे नौकरी घर भर का मौज कराय देहे।
बाबू का गया कराय देहे बीबी का गहना बनवाय देहे॥
अपने दादा कै अर्थी हम संगम म तेरे आवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर पैसा खूब कमाए हे।
अम्मा बाबु का अपने गंगा म दुबकी लगवाए हे॥
पता नही ई करम फ़ुट की कंगाली आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब हम jayee हिया हुआ तव साथ सिपाही जात रहें।
हमारे दफ्तर म आवे तो हाथ जोड़ बतियात रहें॥
थोड़े दिन के अन्दर म बेईमानी का फंदा फ़ुट गवा।
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
कमी कैधंधा छूट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर .महफ़िल माँ रंग जमायदेहे॥
बड़े बड़े रंग्बाजन कानाकन चना चबवाय देहे॥
थोडी से गलती हंसी होइगे जो लालच म हम आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक करत रहे नौकरी घर भर का मौज कराय देहे।
बाबू का गया कराय देहे बीबी का गहना बनवाय देहे॥
अपने दादा कै अर्थी हम संगम म तेरे आवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
जब तक रहे सरकारी अफसर पैसा खूब कमाए हे।
अम्मा बाबु का अपने गंगा म दुबकी लगवाए हे॥
पता नही ई करम फ़ुट की कंगाली आय गवा॥
बेटवामौज उड़वा कम । किस्मत के लोटा फ़ुट गवा॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर