साहित्य समाचार:
जाल पत्रकारिता तथा चिट्ठाजगत : द्विदिवसीय कार्यशाला
जाल तथा चिट्ठा 'स्व' से 'सर्व' का साक्षात् करने के माध्यम -संजीव 'सलिल'
जबलपुर, १८ अप्रैल २००९। ' अंतरजाल तथा चिट्ठा-लेखन आत्म अनुभूतियों को अभिव्यक्त कर, 'स्व' से 'सर्व' का साक्षात् करने का माध्यम है। 'सत-शिव-सुन्दर' से 'सत-चित-आनंद' की प्राप्ति के सनातन भारतीय आदर्श की साधना के पथ पर अदेखे-अनजाने से संयुक्त होकर समय की सामान्य सीमा को लांघते हुए असीम और निस्सीम की प्रतीति का अवसर ये माध्यम सर्व सामान्य को उपलब्ध करा रहे हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम स्वयं को इन माध्यमों से लाभान्वित करते हैं या साथी आकर्षणों और विवादों में सिमटकर व्यर्थ कर देते हैं। तकनीकी निपुणता को वैश्विक संचेतना जाग्रति का माध्यम बनाया जा सके तो मानव मात्र के लिया यह आयाम कल्याणकारी सिद्ध होगा अन्यथा यही माध्यम विनाश को आमंत्रण देगा.' ये विचार दिव्य नर्मदा पत्रिका के संपादक, विख्यात कवी-समीक्षक संजीव 'सलिल' ने स्वामी विवेकानंद आदर्श महाविद्यालय, मदन महल द्वारा 'जाल पत्रकारिता तथा चिट्ठा लेखन' पर आयोजित द्विदिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन वक्तव्य में व्यक्त किये.
इसके पूर्व महाविद्यालय के संचालक श्री प्रशांत कौरव ने कार्य शाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया, उपस्थित लगभग ५० सहभागियों ने चिट्ठा-लेखन के तकनीकी, भाषिक, सामाजिक, आर्थिक, विधिक आदि पक्षों की जानकार प्राप्त की तथा शंकाओं का समाधान प्राप्त किया।
नयी दुनिया दैनिक समाचार पात्र के विधिक संवाददाता श्री सुरेन्द्र दुबे ने चिट्ठा-लेखन संबन्धी विधिक जिज्ञासाओं का समाधान किया। चैनल ९ एक्स के स्ट्रिंगर श्री मतलूब अहमद अंसारी, रंगकर्मी श्री संदीप पांडे, चैनल २४ की प्रदेश प्रभारी सुश्री वीणा रजक आदि ने अंतरजाल पत्रकारिता के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन किया।
प्रशिक्षुओं के आग्रह पर श्री गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल', महिला-बाल विकास अधिकारी ने अंतिम दिन सभी को अपना चिट्ठा प्रारंभ करने के लिए अवसर तथा संसाधन उपलब्ध कराये जाने से सहमति व्यक्त करते हुए चिट्ठा-लेखन के भविष्य से अवगत कराया।
संचालक श्री प्रशांत कौरव ने तत्सम्बन्धी व्यवस्थाएं करने के निर्देश देते हुए धन्यवाद ज्ञापन कर प्रथम दिवस की कार्यशाला का समापन किया.
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--- संजय सेन सागर