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~~~~~~~~~~~~~इंसान~~~~~~~~~~~~~~~

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~इंसान~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कब जन्म हुआ कई राय है पर इस पर मेरी कोई राय नही । इंसान जंगल में रहने वाला जानवर था जो आज केवल कुछ जगह आदिवासी के रूप में जन जाता है । पर कल तक ये इंसान जंगल में अकेला रहता था और अन्य जंगली जानवर इस पर हमला करते थे व इसका शिकार करते थे । इसने अपना बचनेके लिए जन समूह में रहने लगे और इससे समुदाय का विकास हुआ | आज भी समुदाय में काम अच्छे प्रकार से किए जाते है या सब काम समुदाय के सिधांत पर ही किया जाता है ।

समुदाय में रहने पर इसको जंगली जानवरों से निपटने पर एक आसान तरीका मिल गया पर भोजन के लिए जंगलो पर निर्भर रहने वाला व्यक्ती jangaloo का डर जंगली जवारों का डर तो इसने आपने खाने के लिए खेती करना सुरु किया और जानवरों को बंधक बनाना सुरु किया इसके बदले वो जानवरों को सुराचा और खाना भी देते थे जो की उनके लिए जरुरी था पर .............. अब इनसानों के लिए डर कुछ और था ये था

इंसानों का डर क्योकि कुछ लोग ताक़त के बदले लूट पाट किया करते थे और समुदाय में रहने वाला इंसान के लिए ये चलते फिरते समुदाय (डाकू इत्यादी ) का डर था जो की इनको डरता था

इस डर से निपटने के लिए इसने कुछ उग्र सावाभ. वाले लोगो को सुरछा का जिम्मा दिया और हथियारों का निर्माण भी अब यहाँ से सुरु हुआ इंसान और इंसान के बीच में जानवरों का व्यव्हार इसका अन्तर अब दिखने लगा
छेत्र से जाती से darm से देश से ये कुछ शब्द आते ही इंसानों के बीच डर आता था और इंसान की तस्वीर दिखायी देने लगती थी जो आज तक चली आरही है
लेकिन समय के साथ एक नए तरीको ने जन्म लिया और इनसब को सुरछा और व्यापार एक साथ चाइये था
तो अलसी भर्स्ट लोगो ने विदेश से इसकी वाव्स्था की और फिर शुरू हुआ गुलामी और चापलूसी का युग जो चापलूस नही था वो ताक़त के दम पर गुलाम बनआ दिया जाता (मेरी राय में विना वोटिंग के आकडे चापलूसी के आकडे होते है) और एसा इतिहास में हुआ की कई देश गुलाम हुए गुलामी में भी डर होता है डर कल का अपने बच्चों के भविष्य का .........

इस गुलामी से उताका चुके लोगो ने vidodh ched दिया दुतीय विश्व युद्ध का करण था मंदी जो की गुलामी और वायपर निति के वजह से हुयी थी इस युद्ध में न जाने कितनी जाने गयी और इस प्रकार लोगो को युद्ध से डर लगने लगा |
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. आपने मेरी हर एक शायरी पे इतना सुंदर कमेन्ट दिया है की मेरा लिखने का उत्साह दुगना हो गया है! बहुत बहुत शुक्रिया आपको मेरी पेंटिंग पसंद आई ! मैंने सोचा की शायरी लिखने के साथ साथ अपनी बनाई हुई पेंटिंग्स भी दू तो सबको बहुत अच्छा लगेगा !
    आपने जो कविता लिखकर भेजा है बहुत अच्छी लगी! बहुत ही शानदार है!
    बिल्कुल सच्चाई बयान किया है अपने इस इंसान लेख में! बहुत ही बढ़िया लगा!

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  2. तो ये बात है कमेन्ट का बद्ला कमेन्ट

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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