एन. रघुरामन
मैनेजमेंट फंडा.शाहरुख खान की एक हिट फिल्म का संवाद है, ‘कोई चीज अगर दिल से चाहो तो सारी कायनात आपकी उस चाहत को पूरा करने में लग जाती है।’ इसकी पुष्टि करती एक सच्ची घटना पर गौर न्यूयार्क शहर में रहने वाली एक छोटी लड़की अपने पिगी बैंक को खाली कर अपने घर से कुछ दूर स्थित एक दवा की दुकान पर पहुंचती है। दुकान मालिक उस लड़की की तरफ कोई ध्यान नहीं देता, क्योंकि वह शिकागो से आए अपने भाई से बातें करने में मशगूल होता है। लड़की की तेज आवाज से उसे बातचीत करने में परेशानी आती है। यह देखकर वह चिड़चिड़े लहजे में उससे पूछता है, ‘क्या चाहती हो? देख नहीं रही हो मैं अपने भाई से बात कर रहा हूं जो बहुत दिनों बाद मुझसे मिलने आया है!’
यह सुनकर लड़की भी उतने ही तेज अंदाज में बोलने की कोशिश करते हुए जवाब देती है, ‘मैं भी आपसे अपने भाई के बारे में बात करना चाहती हूं। वह बहुत बीमार है.. और मैं कोई चमत्कार खरीदने आई हूं।’
यह सुनकर दुकानदार थोड़ा अचरज से बोला, ‘फिर कहो.. तुम क्या चाहती हो?’
लड़की बोली, ‘मेरे भाई का नाम एंड्रयू है और उसके सिर के भीतर कुछ हो गया है। मेरे पिताजी का कहना है कि अब कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है। मैं वही चमत्कार लेने आई हूं, कितने का है चमत्कार?’
यह सुनकर दुकानदार थोड़े नरम लहजे में बोला, ‘प्यारी बच्ची, हम यहां कोई चमत्कार नहीं बेचते हैं। मुझे अफसोस है कि मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।’
इस पर वह लड़की फिर बोली, ‘सुनिए, मेरे पास उस चमत्कार की कीमत चुकाने लायक रकम है। आप सिर्फ यह बताइए वह कितने का है। अगर रकम कम पड़ेगी, तो मैं बाकी का बंदोबस्त भी कर लूंगी।’
सारी बातें सुन रहा उस दुकान मालिक का भाई पहनावे से एक भद्र शख्स लगता था। वह दुकान से नीचे उतरा और लड़की से प्यार जताते हुए बोला, ‘तुम्हारे भाई को किस तरह के चमत्कार की जरूरत है?’
वह लड़की डबडबाई आंखों के साथ बोली, ‘मुझे नहीं मालूम। मुझे सिर्फ इतना मालूम है कि वह बहुत ज्यादा बीमार है और मम्मी कह रही थीं कि उसे ऑपरेशन की जरूरत है, लेकिन मेरे पिताजी के पास उसके लिए इतना पैसा नहीं है। इसीलिए मैं अपने पिगीबैंक में जमा पैसों से उसके लिए चमत्कार खरीदने आई हूं।’ यह सुनकर शिकागो से आया हुआ वह शख्स बोला, ‘तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?’
इस पर वह लड़की बमुश्किल जवाब दे पाई, ‘एक डॉलर और ग्यारह सेंट। मेरे पास फिलहाल यही है, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो मैं कुछ और रकम भी जुटा लूंगी।’
यह सुनकर वह शख्स मुस्कराते हुए बोला, ‘कितने संयोग की बात है कि तुम्हारे पास एक डॉलर और ग्यारह सेंट हैं और इतनी ही कीमत में चमत्कार मिल जाता है।’ इसके बाद उसने एक हाथ में लड़की द्वारा लाई गई रकम ली और दूसरे हाथ से लड़की का हाथ थाम कर बोला, ‘मुझे अपने घर ले चलो। मैं तुम्हारे भाई और मम्मी-पापा से मिलना चाहता हूं। हो सकता है कि तुम्हें जिस चमत्कार की जरूरत है, वह मेरे पास हो।’ वास्तव में वह शख्स न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञ डॉ, कार्लटन आर्मस्ट्रांग थे। उन्होंने वह ऑपरेशन मुफ्त में किया और कुछ समय बाद उस लड़की का भाई ठीक होकर घर लौट आया। इसके बाद ईश्वर का धन्यवाद देते हुए उसकी मां बोली, ‘वह ऑपरेशन वास्तव में चमत्कार से कम नहीं था। मुझे नहीं पता कि उसका कितना खर्च आया होगा!’ यह सुनकर लड़की मुस्कराई, क्योंकि उसे अच्छे से मालूम था कि उस चमत्कार की क्या कीमत थी, महज एक डॉलर और ग्यारह सेंट और उस नन्ही लड़की का विश्वास।फंडा यह है कि अगर विश्वास है तो चमत्कार भी होते हैं। विश्वास बनाए रखने से बड़े से बड़ा काम हो जाता है। आगे पढ़ें के आगे यहाँ
मैनेजमेंट फंडा.शाहरुख खान की एक हिट फिल्म का संवाद है, ‘कोई चीज अगर दिल से चाहो तो सारी कायनात आपकी उस चाहत को पूरा करने में लग जाती है।’ इसकी पुष्टि करती एक सच्ची घटना पर गौर न्यूयार्क शहर में रहने वाली एक छोटी लड़की अपने पिगी बैंक को खाली कर अपने घर से कुछ दूर स्थित एक दवा की दुकान पर पहुंचती है। दुकान मालिक उस लड़की की तरफ कोई ध्यान नहीं देता, क्योंकि वह शिकागो से आए अपने भाई से बातें करने में मशगूल होता है। लड़की की तेज आवाज से उसे बातचीत करने में परेशानी आती है। यह देखकर वह चिड़चिड़े लहजे में उससे पूछता है, ‘क्या चाहती हो? देख नहीं रही हो मैं अपने भाई से बात कर रहा हूं जो बहुत दिनों बाद मुझसे मिलने आया है!’
यह सुनकर लड़की भी उतने ही तेज अंदाज में बोलने की कोशिश करते हुए जवाब देती है, ‘मैं भी आपसे अपने भाई के बारे में बात करना चाहती हूं। वह बहुत बीमार है.. और मैं कोई चमत्कार खरीदने आई हूं।’
यह सुनकर दुकानदार थोड़ा अचरज से बोला, ‘फिर कहो.. तुम क्या चाहती हो?’
लड़की बोली, ‘मेरे भाई का नाम एंड्रयू है और उसके सिर के भीतर कुछ हो गया है। मेरे पिताजी का कहना है कि अब कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है। मैं वही चमत्कार लेने आई हूं, कितने का है चमत्कार?’
यह सुनकर दुकानदार थोड़े नरम लहजे में बोला, ‘प्यारी बच्ची, हम यहां कोई चमत्कार नहीं बेचते हैं। मुझे अफसोस है कि मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।’
इस पर वह लड़की फिर बोली, ‘सुनिए, मेरे पास उस चमत्कार की कीमत चुकाने लायक रकम है। आप सिर्फ यह बताइए वह कितने का है। अगर रकम कम पड़ेगी, तो मैं बाकी का बंदोबस्त भी कर लूंगी।’
सारी बातें सुन रहा उस दुकान मालिक का भाई पहनावे से एक भद्र शख्स लगता था। वह दुकान से नीचे उतरा और लड़की से प्यार जताते हुए बोला, ‘तुम्हारे भाई को किस तरह के चमत्कार की जरूरत है?’
वह लड़की डबडबाई आंखों के साथ बोली, ‘मुझे नहीं मालूम। मुझे सिर्फ इतना मालूम है कि वह बहुत ज्यादा बीमार है और मम्मी कह रही थीं कि उसे ऑपरेशन की जरूरत है, लेकिन मेरे पिताजी के पास उसके लिए इतना पैसा नहीं है। इसीलिए मैं अपने पिगीबैंक में जमा पैसों से उसके लिए चमत्कार खरीदने आई हूं।’ यह सुनकर शिकागो से आया हुआ वह शख्स बोला, ‘तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?’
इस पर वह लड़की बमुश्किल जवाब दे पाई, ‘एक डॉलर और ग्यारह सेंट। मेरे पास फिलहाल यही है, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो मैं कुछ और रकम भी जुटा लूंगी।’
यह सुनकर वह शख्स मुस्कराते हुए बोला, ‘कितने संयोग की बात है कि तुम्हारे पास एक डॉलर और ग्यारह सेंट हैं और इतनी ही कीमत में चमत्कार मिल जाता है।’ इसके बाद उसने एक हाथ में लड़की द्वारा लाई गई रकम ली और दूसरे हाथ से लड़की का हाथ थाम कर बोला, ‘मुझे अपने घर ले चलो। मैं तुम्हारे भाई और मम्मी-पापा से मिलना चाहता हूं। हो सकता है कि तुम्हें जिस चमत्कार की जरूरत है, वह मेरे पास हो।’ वास्तव में वह शख्स न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञ डॉ, कार्लटन आर्मस्ट्रांग थे। उन्होंने वह ऑपरेशन मुफ्त में किया और कुछ समय बाद उस लड़की का भाई ठीक होकर घर लौट आया। इसके बाद ईश्वर का धन्यवाद देते हुए उसकी मां बोली, ‘वह ऑपरेशन वास्तव में चमत्कार से कम नहीं था। मुझे नहीं पता कि उसका कितना खर्च आया होगा!’ यह सुनकर लड़की मुस्कराई, क्योंकि उसे अच्छे से मालूम था कि उस चमत्कार की क्या कीमत थी, महज एक डॉलर और ग्यारह सेंट और उस नन्ही लड़की का विश्वास।फंडा यह है कि अगर विश्वास है तो चमत्कार भी होते हैं। विश्वास बनाए रखने से बड़े से बड़ा काम हो जाता है। आगे पढ़ें के आगे यहाँ
इनके लेखों को पढने के लिए लोगों मे बेहद पागलपन है
ReplyDeleteआपने इनके लेखों को यहाँ लाने के लिए शुक्रिया