हिंदुस्तान का दर्द...
झूठे नेता...
लोलुप अफसर...
मुनाफाखोर व्यापारी...
कानून तोड़नेवाली जनता...
मँहगे आम चुनाव...
नैतिकता का अभाव...
मस्ती को जीवन मानते युवा...
देह उघाड़ता दूरदर्शन...
घर फोड़ते सीरिअल...
बेबस हम-आप...
परेशां --भारत माता...
*************
झूठे नेता...
लोलुप अफसर...
मुनाफाखोर व्यापारी...
कानून तोड़नेवाली जनता...
मँहगे आम चुनाव...
नैतिकता का अभाव...
मस्ती को जीवन मानते युवा...
देह उघाड़ता दूरदर्शन...
घर फोड़ते सीरिअल...
बेबस हम-आप...
परेशां --भारत माता...
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संजीव जी बहुत खूब लिखा है
ReplyDeleteहिन्दुस्तान का दर्द
आचार्य जी
ReplyDeleteपहले गौ माता कटी
बिसरा दी फिर मात
भारतमाता क्या करे
हुई अंधेरी रात।
बहुत खूब लिखा है
ReplyDeleteहिदोस्तान का दर्द-
ReplyDeleteइस मौजू के एक कविता-
जो भी दिल्ली जाता है हो जाता चांडाल है पढें यहां
http//:katha-kavita.blogspot.com
जो भी दिल्ली जाता है हो जाता चांडाल है पढें यहां
ReplyDeletehttp//:katha-kavita.blogspot.com/