Skip to main content

पूजा करने में मन न लगने की शिकायत


विनय बिहारी सिंह

अक्सर आपको यह सुनने को मिलेगा कि क्या करें पूजा का जो नियम है उसका पालन करता हूं, लेकिन मन का क्या करूं। कैसे उसे वश में करूं। दो मिनट तो ठीक रहता है, लेकिन उसके बाद मन हजार जगह भटकने लगता है। कई बार कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिलती। अब तो सोचता हूं, यह मेरे वश में नहीं है। यही सवाल एक सन्यासी से पिछले दिनों एक व्यक्ति ने पूछा। सन्यासी ने कहा- इसका मतलब है कि भगवान से भी ज्यादा आपको कोई चीज प्यारी है। उस व्यक्ति ने कहा- नहीं। ऐसा हो ही नहीं सकता। भगवान से बढ़ कर कोई हो ही कैसे सकता है। तब सन्यासी ने कहा- अगर भगवान से बढ़ कर कोई औऱ नहीं है तो फिर आपका मन भगवान से कौन हटाता है? उस व्यक्ति ने कहा- पता नहीं। लेकिन अचानक मन भटकने लगता है। सन्यासी ने पूछा- मन किसका है? उस व्यक्ति ने कहा- मेरा है। तब तो आपका मन आपके वश में होना चाहिए। उस व्यक्ति ने कहा- लेकिन यही तो समस्या है सन्यासी जी। मेरा मन है और मेरे कहने में नहीं है। सन्यासी ने कहा- यह तो बुरी बात है। तब आपका पहला काम है- अपने मन को वश में करना। जब आप चाहते हैं तो हाथ उठा देते हैं। या हाथ से काम करने लगते हैं। लेकिन जब आपका हाथ आपका कहना मानता है तो मन को आपका कहना मानना चाहिए। अगर नहीं मानता तो उसे नियंत्रण में लाने की कोशिश कीजिए। गीता में भगवान कृष्ण से अर्जुन ने पूछा कि मन को कैसे वश में करें। वह तो प्रचंड मथ देने वाला है। मन वायु के समान चंचल है। तो भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- हां, यह सच है कि मन बहुत चंचल है। लेकिन उसे वश में करने के लिए अभ्यास और वैराग्य की जरूरत है। अभ्यास यानी जब भी मन भागे तो उसे खींच कर भगवान की तरफ लाइए। यह काम बार- बार करना पड़ेगा। ऊबने से या चिंतित होने से काम नहीं चलेगा। यह तो लगातार अभ्यास से होगा। और वैराग्य? वैराग्य यह कि यह संसार हमारा नहीं है। मेरे न रहने के पहले भी यह संसार था और मरने के बाद भी रहेगा। इसके अलावा यह संसार किसी का नहीं। सब माया का खेल है। संसार जितना लुभावना लगता है, उतना ही हमारे लिए पराया है। इसका मतलब यह नहीं कि संसार छोड़ देना चाहिए। संसार में रहना चाहिए लेकिन भगवान का हाथ पकड़ कर। रामकृष्ण परमहंस ने कहा है- संसार में एक हाथ से काम कीजिए और दूसरे हाथ से भगवान को पकड़े रहिए। यानी यह मान कर सारा काम कीजिए कि मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं, असली करने वाला तो भगवान है। सारा काम भगवान को सौंप कर जीवन यापन करना ही वैराग्य है। घर- परिवार छोड़ कर जंगल में रहना वैराग्य नहीं है।

Comments

  1. सच बहुत अच्छा लेख !!
    अच्छा लिखा आपने

    ReplyDelete
  2. bahut gahrai hai aur usmein jana har kisi ke baski baat nhi hai . sach to yahi hai ki hamein jeene ka dhang aise hi sikhna hoga tabhi hum sansarik moh-maya se door hokar kuch waqt apne liye , apni aatmsantushti ke liye nikal payenge aur tab man kahin nhi bhagega.sab kuch karne wala wo hi hai agar aisa man lein aur jo kar rahe hain use bhagwan ke arpan karte chalein phir man kahan jayega----bhagwan ke pass hi na kyunki jo bhi karenge usko hi arpan kar denge to use bhoolenge kaise--------kabhi bhi nhi.
    phir vairagya ko khojna nhi padega apne aap ho jayega.

    ReplyDelete
  3. विनय बिहारी जी बहुत ही सुन्दर !!
    शब्द नहीं है मेरे पास!

    ReplyDelete
  4. विनय जी इस तरह की सिकायत मुझे भी थी आपने हल दिया अच्छा लगा
    आप विद्यासागर जी के बार में भी कुछ लिखिए मुझे अच्छा लगेगा!

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally