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ग़ज़ल ( महसूस )

तन्हाई में जब जब तेरी यादों से मिला हूँ
महसूस हुआ है की आपको देख रहा हूँ।
ऐसा भी नही है तुझे याद करू मैं
ऐसा भी नही है तुझे भूल गया हूँ ।
शायद यह तकब्बुर की सज़ा मुझको मिली है
उभरा था बड़ी शान से अब डूब रहा हूँ ।
ए रात मेरी समत ज़रा सोच के बढ़ना
मालूम है तुझे मैं अलीम जिया हूँ ।
तन्हाई में जब जब ................
महसूस हुआ की तुझे देख रहा हूँ ।

Comments

  1. kahan achha hai....magar gazal ke drishti se bahot saari khamiyaan hai...

    arsh

    ReplyDelete
  2. आपकी दोनों ग़ज़ल पसंद आई
    बहुत खूब लिखा है !

    ReplyDelete
  3. वा क्या बात है......बहोत खूब.....

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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