आज मैंने प्रशांत बाबू की एक पोस्ट देखी जिसका मज़मून था "तुष्टिकरण की जय हो" जिसमे लिखा था-
उपरोक्त पोस्ट पढ़ कर लगता है प्रशांत जी साम्प्रदायिक और संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित व्यक्ति हैं| जो नेताओं की तरह हर बात में चाहे वो देश के हित की बात क्यूँ न हो, अपनी संकीर्ण मानसिकता के चश्में से उसे देखते हैं और उल्टा अर्थ निकल कर अनर्थ कर डालते हैं | आप ही बताईये कि स्टेज पर रहमान के साथ सुखविंदर का ना होने या गुलज़ार का ना होने में रहमान का क्या दोष !??? लेकिन ये जनाब हर वक़्त मुसलमानों में खोट निकालते रहते हैं| इसके पूर्व भी श्रीलंकाई खिलाडियों पर हुए हमलों पर लिखा, बाकी सब तो ठीक था, मगर उनकी एक पोस्ट मुझे लगा कि उसी बीमारी की हालत में उन्होंने लिख डाली थी | वो पोस्ट थी -
और जिसके प्रयुत्तर में मुझे यह पोस्ट लिखनी पड़ी-
आप पाठकों से अनुरोध है कि आप उपरोक्त सभी पोस्ट ज़रूर पढें (सारी पोस्टें इसी ब्लॉग पर हैं)
ख़ैर ! अब मैं प्रशांत जी के हाल ही के पोस्ट "तुष्टिकरण की जय हो" का जवाब बिन्दुवार दूंगा, सार्थक, शालीनता से और देश हित को ध्यान में रखते हुए |
सबसे पहला नाजायज़ इल्ज़ाम-
"रहमान तो सभी न्यूज़ और ऑस्कर के मंच पर छाये थे पर इस गाने को गाने वाले सुखविंदर सिंह कहीं नहीं दिखे, क्यूँ? रहमान की मक्कारी की वजह से (मुस्लिम होते ही ऐसे हैं)"
इसका पहला साधारण जवाब यह है कि जनाब ऑस्कर का अवार्ड था- संगीत के लिए ना कि गायेकी के लिए!
जब अवार्ड संगीत के लिए था तो वहां संगीतकार ही जायेगा ना !? गायक क्या करेगा !!!??????? और शोभा बढ़ाने के लिए शायद सिंह साहेब जाते भी, लेकिन हो सकता हो गुलज़ार साहेब (जो टेनिस प्रेम की वजह से नहीं गए, जबकि उनको भी अवार्ड मिला था- रहमान के साथ साझे में) की तरह कोई काम हो या डेट्स की प्रॉब्लम हो !
यह तो था साधारण जवाब अब धाँसू जवाब सुनिए.........
आपने कहा रहमान की मक्कारी की वजह से वह नहीं जा सके ... मुझे पुनः तरस आता है आपकी मानसिकता पर ! मुझे तरस आता है आपकी गन्दी सोंच पर ! मुझे तरस आता है.....ख़ैर इतना तरस खाने की ज़रुरत नहीं है मुझे क्यूंकि आप मुझे मालूम है बदलने वाले नहीं हो |
कुरान में भी लिखा है .....
"अल्लाह ने उनके दिलों पर और उनके कानों पर मुहर लगा दी है और उनकी आँखों पर पर्दा पड़ा है और उनके लिए बड़ी यातना है |" -अल-कुरान 2:7
"उनके दिलों में रोग था तो अल्लाह ने उनके रोग को और बढा दिया और उनके झूठ बोलते रहने के कारण उनके लिए एक दुखद यातना है|" -अल-कुरान 2:10
"और जब उनसे कहा जाता है कि 'ज़मीन में बिगाड़ पैदा ना करो' तो कहते हैं कि 'हम तो केवल सुधारक हैं' |" -अल-कुरान 2:11
"जान लो! वही हैं जो बिगाड़ पैदा करते हैं, लेकिन उन्हें एहसास नहीं होता" अल-कुरान 2:12
"वे बहरे हैं, गूंगे हैं, अंधे हैं, अब वे लौटने के नहीं" - अल-कुरान 2:18
आगे आपने लिखा कि रहमान ने सुखविंदर के साथ एक साथ गाने की प्रैक्टिस की और ऑस्कर जाने से पहले फ़ोन उठाना बंद कर दिया |
अरे ! जनाब आप तो बहुत बड़े वाले खबरीलाल निकले , कहाँ से मिली आपको यह न्यूज़! जबकि मैंने यह खबर ना तो किसी न्यूज़ पेपर में देखी ना ही किसी चैनल पर| ओहो! मैं तो भूल ही गया था यह न्यूज़ आपके फितूर दिमाग से पैदा हुई थी | शर्म आनी चाहिए आपको इस तरह के तर्क को अपनी बात सिद्ध करने के लिए इस्तेमाल करना |
और जैसे लगता है वीज़ा लगाने का काम रहमान के चाचा करते है जिसकी वजह से सुखविंदर को रहमान के ज़रिये से ही वीज़ा लग सकता था, और रहमान ने वीज़ा जलन वश नहीं लगवाया | अरे जनाब अगर आपको रत्ती भर भी जानकारी होगी तो आपको पता होगा की वहां के लिए वीज़ा कैसे लगता है| अगर नहीं पता तो गूगल सर्च करके देख लें | अगर आप यह सिद्ध कर दें कि रहमान की वजह से वीज़ा नहीं लग पाया तो मैं आपको मुहं माँगा इनाम दूंगा |
आगे अपने बेशर्मी की हद कर दी -एक सच्चे भारतीय मुस्लिम को आतंकवादी कहने से भी नहीं चूके |
आप जैसे लोगों की वजह से ही देश में आपस में घृणा फ़ैल रही है |
"प्लीज़ बंद कीजिये इस तरह के अनर्गल आरोप लगाना, बंद कीजिये चोर मचाये शोर वाली कहावत को अपनाना, बंद कीजिये झूठ को इतनी बार कहना , इतनी बार कहना, इतनी बार कहना कि वो लोग सच ही समझने लगें | बंद कीजिये...........प्लीज़!!!"
जय हिंदुस्तान, जय यंगिस्तान !!!
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
संगीत का अवार्ड मिलना था तो निश्चित तौर पर रहमान ही जा सकते थे,लेकिन जिस तरह से उस फिल्म से जुडा लगभग हर शक्स वहा मोजूद था तो सुखविंदर की उपस्तिथि से समारोह मे चार चाँद लग सकते थे !
ReplyDeleteलेकिन समस्या वीजा की थी तो न उसके लिए रहमान जिम्मेदार है न डेनी बोयल और रहमान का मुस्लिम होना तो बिलकुल भी जिमेदार नहीं है !
जो हुआ उससे कोई भी यह सिद्ध करना नहीं चाहता था की सुखविंदर अच्छे गायक नहीं है ! आगे भी मौके है !
प्रशांत जी हर बात के लिए मुस्लिम ही जिम्मेदार होते है क्या?
अच्छा लिखा है लेकिन प्रशांत जी बात से भी असहमत नहीं हूँ की मुस्लिम धोखेबाज नहीं होता
ReplyDeleteदिन-पर-दिन यह साफ़ होता जा रहा है की मुस्लिम धोखेबाज होता है
अंबरीश बाबू ! जैसा कि मैं इसी पोस्ट में लिखा है कि प्लीज़ झूठ को इतनी बार मत दोहराइए! काली भेंडे (गलत लोग) हर समुदाय में होती हैं, चाहे वो मुस्लिम हो, हिन्दू हो या किश्चियन !!
ReplyDeleteज्यादा जानकारी के लिए मेरी पोस्ट "मुस्लिम धोखेबाज़ होते हैं!???" ज़रूर पढें|
sahi ja rahe ho guru ! lok sabha chunaw najdik hai kuchh naye mudde lao yar janta bor ho chuki ye hindu -muslim rag sun-sunkar . salim bhai kabhi muslimo mein faili garibi aur ashiksha ke bare me bhi likho . dharm kisi ko khane nahi deta wo to apni astha ki baat hai . dharm nitant niji mamla hai . are jitna dimag ,urga aur paisa dharm ki ladai me kharch ki jati hai utne me to sare kaum ki samasyayen door ho jayegi par nahi ham to dharm ke naam par apni dukan chalayenge .
ReplyDeleteकोई इल्ज़ाम लगाता रहे और हमें चाहिए कि चुपचाप उसे मान ले और उसके खिलाफ़ बिलकुल भी, ज़रा भी आवाज़ ना उठायें |
ReplyDeleteअरे ! कुछ असामाजिक तत्वों की गलत हरकत से यह नहीं समझ लें कि पूरी कि पूरी क़ौम ही गलत है| हर जगह कहीं अच्छे लोग हैं तो वही कुछ बुरे लोग भी हैं|
और हाँ ! "चोर मचाये शोर" वाली कहावत मुझे लगता है अब फिट बैठ ही गयी है!!!