माफ़ कीजियेगा मुझे यह लिखते हुए बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा है की आज के दौर में अगर कोई मोहब्बत की कहानिया सुनाता है तो सिर्फ़ एक फिल्मी लगती है सचचाई bइल्कुल भी नही लगती उसमे उसके मुफात के राज़ पूरी तरह से बुने रहते है , खाते है इश्क एक पाक रिश्ता है निभाया जाए तो उसे निभाने के लिए हमारी साड़ी वफाये भी कम पड़ जाती है एक ज़माना था जब लोग सच्ची मोहब्बत किया करते थे जैसे लैला मजनू , हीर राँझा वगैरह जिसके मिसाल आज भी दिए जाते है , लेकिन आज के इस २१ वि सदी में मोहब्बत करने का ढोंग रचाया जात है जिसमे लड़की और लड़के बराबरी के हकदार होते है , आज कल के प्यार नही होते बल्कि जिस्मानी खीचों से भरपूर होता है , कभी कभी यह देखकर ख़ुद को शर्म आजाती है क्या सिर्फ़ प्यार इश्क एक जिस्मानी ही बन कर ही रह गया है क्या इसमे पहले जैसी बात नही रह गई है क्या इनके माँ बाप अच्छी तरबियत देने में नाकाम है की बेटे जो आप कर रहे हो वो ग़लत है , लेकिन ऐसा कहा होने वाला आज सब कुछ खुली किताब के मानिंद मोहब्बत को पैसों से ख़रीदा जा सकता जिसे खुलेआम नीलामी करने में लोग लगे हुए है और मज़े लूट रहे है क्या येही हमारी संसिकृति क्या येही हमारी तरबियत है । अब मोहब्बत के नाम से नफरत होती है ऐसा इसलिए की इस पाक रिश्ते की सरे आम नीलामी करने में भारी भीड़ लगी हुई है , आज मोहब्बत करना तो एक चलन बन गया है अगर एक दोस्त दूसरे दोस्त से मिलता है तो एक ही सवाल होता है हाँ जी आपकी कोई गर्ल फ्रेंड या बोय्फ़्रिएन्द है वो आपसे न हाल न चाल सीधे बस सीधे वो इसी टोपिक पर बात करता है क्या येही मोहब्बत है क्या येही वोही जज्बा हुआ करता जब लोग साथ जीने मरने की कसमे खाया करते थे अपनी मोहब्बत के लिए दुनिया को त्यागने के लिए तत्पर रहते थे लेकिन वक्त आज बिल्कुल उसके उल्टा है अगर पूछो मोहब्बत की परिभाषा तो वो ऐसा बतायेंगे की हमसभी की इन्द्रिय काँप उठे, तौबा है ऐसी मोहब्बत से और मोहब्बत करने वाले से जो मोहब्बत शब्द को बदनामी के कगार पर धकेलते जा रहे जिनमे उन्हें रूहानी खुशियाँ ज़रूर मिलेगी लेकिन सच्ची मोहब्बत के उन्हें ज़िन्दगी भर तड़पन का सहारा लेना पड़ेगा,......
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
शायद ये आपकी सोच है "सजा" , पर जो "मजा" ले रहे हैं उनका क्या! रही बात मोहब्बत की वो कभी सोचकर नही होती, होती है तो बस हो जाती है, बडे-बडे राजा व रहीसों को भी कोठे पर मोहब्बत हो चुकी है, जो लोग जिश्म के लिये वेश्याओं के पास गये वे भी मोहब्बत के शिकार हो चुके हैं!!!!!
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